दरभंगा : शरद पूर्णिमा, जलाशय का तट, जगमगाती चाँदनी,संस्कृति प्रेमियों का हुजूम और लोक संस्कृति के प्रति दिलों में उमड़ता प्यार। ऐसा कहीं दिख जाए तो समझिए सोने मे सुगंध है।
वैसे तो यह कपोल कल्पना ही मालूम पड़ता है। इस कल्पना को साकार किया “द स्पौटलाइट थियेटर” ने अपने भागिरथ प्रयास से। जिसमे सहयोग किया है सोनी नृत्यांगन संस्था और स्वामी विवेकानंद युवा मंच ने। बुधवार की शाम “झिलमिल झिझिया” के नाम रहा। स्पौटलाइट थिएटर द्वारा दरभंगा के हराही पश्चिम मे अवस्थित संगीत एवं नाटक अनुभाग के परिसर मे आयोजित कार्यक्रम में झिझिया की आकर्षक प्रस्तुति ने दर्शकों का मन मोह लिया तथा मिथिलावासियों को अपनी लोक संस्कृति के प्रति गौरवबोध कराया। इस आयोजन ने लोगों को इस बात का भी एहसास कराया कि भारतीय संस्कृति की खुशबू को मिथिला ने आज भी सम्भाले रखा है।
कोजगरा पर्व के उत्साह मे डूबे मिथिला की खुशियों को झिझिया के आयोजन ने कई गुणा बढा दिया। आज के अधिकांश युवा जहाँ विदेशी संस्कृति की नकल कर रहे हैं,लोकसंस्कृति के प्रति उदासीन है। सांस्कृतिक संकट से निपटने का यह प्रयास सराहनीय है। स्पौटलाइट थियेटर के महासचिव सागर कुमार सिंह ने कहा कि अगले साल से यह आयोजन हर साल निर्वाध रूप से नवरात्र के बीच ही किया जाएगा। उन्होंने सारे संस्थाओं से निवेदन किया कि वे भी अपनी सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने के प्रयास करेंगे तो आनेवाली पिढी संस्कारवान बनेंगी।
इस इस कार्यक्रम मे स्पौटलाइट थियेटर, सोनी नृत्यांगन संस्थान,स्वामी विवेकानंद युवा मंच, द वे और उपकारी ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इसमें डॉक्टर पुष्पम नारायण,डॉक्टर नारायण झा, शैलेन्द्र आनन्द,सुमित मिश्र गुंजन सहित कई गण्यमान्य लोगों की गरिमामयी उपस्थिति बनी रही। स्वागत् भाषण डॉक्टर पुष्पम नारायण और आशीर्वचन डॉक्टर नारायण झा और संचालन अखिलेश कुमार झा और धन्यवाद ज्ञापन सागर सिंह ने किया।