मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में बड़ा फैसला लिया गया है। राज्य के 599 वित्तरहित इंटर कॉलेजों को सरकार अनुदान देगी। इससे 5 साल से वेतन की आस देख रहे शिक्षकों को होगा सीधा लाभ होगा।
राज्य के वित्तरहित इंटर कॉलेजों में 10 हजार से अधिक शिक्षक कार्यरत हैं। वर्ष 2015 से इनका भुगतान लंबित है। 5 साल से वेतन की आस देख रहे शिक्षकों को अनुदान की राशि मिलने से वेतन मिल पाएगा। इन अनुदानित कॉलेजों को 31 दिसंबर तक फॉर्मेट भरकर जमा करना है। इसके बाद अनुदान देने की प्रक्रिया शुरू होगी।
विद्यार्थियों के प्रदर्शन पर मिलेगा अनुदान
वित्तरहित स्कूल-कॉलेजों को रिजल्ट के आधार पर अनुदान दिया जाएगा। अनुदान की राशि प्रदान करने का पैमाना यह है कि स्कूल या कॉलेज में प्रथम आने वाले छात्र के मद में 4500, द्वितीय आने वाले छात्र के मद में 4000 और तृतीय आने वाले छात्र के मद में 3500 रुपए दिए जाएंगे। राज्य में छात्राओं को उच्च शिक्षा के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है, ऐसे में परीक्षा में प्रथम आने वाली छात्रा के प्रदर्शन के एवज में स्कूल को 4700, द्वितीय श्रेणी से पास होने वाली छात्राओं के मद में 4200 और तृतीय श्रेणी से पास होने वाली छात्राओं के एवज में 3700 रुपए वित्तरहित स्कूल-कॉलेजों को अनुदान राशि के रूप में जोड़ कर दिये जाएंगे।
2.5 लाख छात्रों का बच जाएगा भविष्य
वित्तरहित अनुदानित शिक्षक-कर्मचारी संघर्ष मोर्चा के अध्यक्ष मंडल के सदस्य शंभू कुमार सिंह का कहना है कि इससे शिक्षकों के साथ ही छात्रों का भविष्य भी बर्बाद होने से बच जाएगा। स्पष्ट निर्देश है कि अगर 31 दिसंबर तक वित्तरहित स्कूल-कॉलेज शर्तों को पूरा करने की अर्हता सहित फॉर्मेट भरकर नहीं जमा करेंगे तो 2016 का अनुदान तो रुकेगा ही, संस्थान का एफिलिएशन भी समाप्त हो जाएगा। संस्थान का एफिलिएशन समाप्त होने से वहां नामांकित बच्चों का भविष्य अधर में अटक जाएगा। विभिन्न संकायों में स्वीकृत सीटों के आधार पर 599 अनुदानित इंटर कॉलेजों में लगभग 2.5 लाख छात्र-छात्राएं होंगे, जिनका भविष्य भी बर्बाद होने से बच जाएगा।