फ़ैजुर रहमान

इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने और PAN कार्ड को आधार से लिंक कराना जरूरी.

दिल्लीः सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों वाली बैंच ने नया मोबाइल नंबर लेने, बैंक अकाउंट खुलवाने और स्कूल में एडमिशन के लिए आधार की अनिवार्यता को खत्म कर दिया. इसके साथ ही कोर्ट ने कहा कि CBSE, NEET, UGC की परीक्षाओं में आधार को जरूरी बनाया जाना गलत है यह लोग ऐसा नहीं कर सकते. इसके साथ ही कोर्ट ने कहा कि आधार न होने के कारण बच्चों को किसी भी लाभ से वंचित नहीं किया जा सकता, इसलिए स्कूल में एडमिशन या किसी अन्य सरकारी योजना में आधार की जरूरत नहीं है. चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली इस पीठ में जस्टिस ए के सीकरी, जस्टिस ए एम खानविलकर, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड और जस्टिस अशोक भूषण शामिल हैं.

 

सुप्रीम कोर्ट ने मोबाइल नंबर को आधार से लिंक करने को भी गलत माना है. कोर्ट ने कहा कि बैंक अकाउंट खोलने और अन्य बैंकिंग सेवाओं को शुरू करने के लिए आधार की आवश्यकता नहीं है. कोर्ट ने सीबीएसई , यूजीसी की परीक्षाओं में उपस्थिति के लिए आधार की अनिवार्यता को गलत मानते हुए इसे रद्द कर दिया है. साथ में कोर्ट ने आधार एक्ट 57 को हटा दिया है जिसके मुताबिक अब कोई प्राइवेट कंपनी अपने कर्मचारियों से आधार की जानकारी नहीं मांग सकती.

 

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आधार बैंक अकाउंट से लिंक नहीं होगा इसके साथ ही मोबाइल से आधार को लिंक करना भी जरूरी नहीं है. कोर्ट ने कहा कि देश में 99.76 प्रतिशत लोगों को सुविधा से वंचित नहीं किया जा सकता. इसके अलावा कोर्ट ने इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने और PAN कार्ड को आधार से लिंक कराना जरूरी किया है.

 

जस्टिस एके सीकरी ने अपना फैसला पढ़ते हुए कहा कि आधार गरीबों की ताकत के रूप में उभरा है जो समाज के निम्न और हाशिए पर पहुंच चुके लोगों को एक ताकत देता है. उन्होंने कहा कि आधार अन्य पहचान पत्रों से अलग है क्योंकि इसकी नकल नहीं बनाई जा सकती.
जस्टिस सीकरी ने कहा, आधार बनाने के लिए व्यक्ति का जो भी डेटा लिया जा रहा है वो काफी कम है जबकि उस डाटा के मुकाबले व्यक्ति को बहुत ज्यादा फायदा मिलता है. कोर्ट ने कहा कि छोटे बच्चों का स्कूल में एडमिशन कराने के लिए आधार कार्ड को जरूरी न बनाया जाए. उन्होंने कहा, किसी व्यक्ति को अपना अधिकार लेने से वंचित नहीं किया जा सकता.

 

आधार की अनिवार्यता पर चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस ए के सीकरी, जस्टिस ए एम खानविलकर, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड और जस्टिस अशोक भूषण की पांच जजों वाली संवैधानिक पीठ ने अब तक इस मामले पर सुनवाई की है जिसमें आज ये पीठ अपना फैसला सुनाएगी कि क्या आधार से निजता के मौलिक अधिकार का उल्लंघन होता है. सुप्रीम कोर्ट ने कल्याणकारी योजनाओं के अलावा केंद्र वे राज्य सरकारों की बाकी रह गई सभी योजनाओं में आधार की अनिवार्यता पर रोक लगा दी थी.