पंजाब : अमृतसर रेल हादसों में मरने वालों की संख्या में इजाफा हुआ है। पहली रिपोर्ट में 50 लोगों के मरने की संख्या बताई जा रही थी, लेकिन इसके बाद मरने वालों की संख्या 61 दर्ज की गई। रेल हादसे में करीब 80 से ज्यादा लोगों के घायल होने की भी खबर आ रही है। पंजाब सरकार की ओर से शनिवार को राजकीय शोक घोषित किया गया है। आज पंजाब के सभी सरकारी संस्थान बंद किये गए हैं।
हादसे के प्रति राजनेताओं ने जताया दुःख
अमृतसर रेल हादसे के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सबसे पहले ट्वीट कर हादसे के प्रति अपना शोक जताया। उन्होंने कहा कि, ‘यह रेल हादसा दिल को दुखाने वाला है। मेरी भावनाएं मृतकों और घायलों के परिवारों के प्रति है, हमारी ओर से सभी प्रकार के मदद के आदेश दे दिये गए हैं।’ कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा, मेरी संवेदनाएं उन सभी परिवारों से है जिन्होंने अपने परिवार के सदस्य को खोया या फिर उनके परिवार का कोई सदस्य घायल हुआ है।’ पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कहा कि, ‘मैं खुद इस हादसे की निगरानी कर रहा हूं। घायलों के लिए बचाने और राहत प्रदान करने की प्रक्रिया की निगरानी की जा रही है। जिला प्राधिकारियों द्वारा युद्ध स्तर पर इकट्ठा होकर बचाव कार्य किया जा रहा है।’
मुआवजे का किया गया ऐलान
राज्य और केंद्र सरकार की ओर से मृतकों और घायलों के लिए मुआवजे का ऐलान किया गया है। राज्य सरकार की ओर से मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने मृतकों के परिजनों के लिए 5 लाख रुपये का ऐलान किया गया। सभी घायलों को सरकारी और प्राइवेट हॉस्पिटल में मुफ्त इलाज का भी ऐलान किया गया। केंद्र सरकार की ओर से मृतकों के लिए 2 लाख रुपये और घायलों के लिए 50,000 रुपये का ऐलान किया गया है।
कैसे हुआ हादसा ?
विजयदशमी के अवसर पर रावण दहन का कार्यक्रम दशहरा कमिटी की ओर से रखा गया था। कार्यक्रम का समय 6ः15 बजे तय किया गया था। लेकिन मुख्य अतिथि नवजौत कोर सिद्दु के भाषण की समाप्ति के बाद रावण दहन 7 बजे किया गया। इस बीच रावण दहन देखने आई भीड़ रेलवे ट्रैक पर इस कदर पसर गई कि सामने से चली आ रही (डीएमयू) ट्रेन की आवाज को सुन नहीं पाई और जब तक लोग ट्रेन को देख पाते ट्रेन उन्हें रौंद गई थी। आपको बताते चलें कि वहां तीन रेलवे ट्रैक हैं जिसमें से एक ट्रैक पर उसी समय दुर्घटना से कुछ पल पहले अमृतसर-हावड़ा वाया जालंधर ट्रेन गुजरी, हालांकि उस ट्रेन से किसी प्रकार की दुर्घटना नहीं हुई। लेकिन अगले ही पल (डीएमयू) स्पीड से गुजरती हुई कई की जानें लील गई। कुछ प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि बस 10-15 सेकेंड में यह बड़ी दुर्घटना घटी, और सभी तरफ लोगों की लाशें ही बिखरी थी, कुछ घायल तड़प् रहे थे।’
हादसे का दोषी कौन !
अमृतसर रेल हादसे का दोषी केवल रेलवे को नहीं माना जा सकता है। इसमें दशहरा कमिटी की भी उतनी ही गलती है। सबसे पहले दशहरा कमिटी की ओर से रावण दहन के लिए यह स्थान चुना गया। जबकि यह जगह भारी संख्या में भीड़ को संभालने लायक नहीं था। पिछल साल यहां रावण दहन नहीं किया गया था। लेकिन इस बार रावण दहन देखने वालों को इतनी भीड़ इकट्ठा हो गई कि उन्हें संभालने का कोई स्थान नहीं रहा। वे लोग धीरे-धीरे उस छोटे से मैदान से रेल की पटरियों पर आ गए। दूसरी ओर इतनी भीड़ को मद्देनजर रेलवे की ओर से भी ढिलाई बरती गई। रेलवे की ओर से अलार्म नहीं बजाया गया। भीड़ देखकर रेलवे की ओर से सुनिश्चित किया जाना चाहिए था कि ट्रेन को हॉल्ट कर दिया जाये या फिर अलार्म बजाई जाए। इन दोनों की लापरवाही ने 61 लोगों की जान के 80 लोगों को घायल कर दिया।