शशि शेखर

बिहार को 2005 वाला नीतीश कुमार चाहिए.

जो कड़े फैसले ले सके. आपका तो अपना कोई वोट बैंक भी नहीं है.

फिर किसकी चिंता करते है. आप वोट बैंक से नहीं लोगों की आकान्क्षा से सीएम बने थे.

नीतीश जी, आपकी अंतरात्मा कहां सो रही थी, जब आपके डबल इंजन सरकार के जोड़ीदार सुशील मोदी अपराधियों से हाथ जोड़ कर विनती कर रहे थे. अभी तक आपने उनकों अपने बयान पर माफी मांगने के लिए कहा है या नहीं? दो दिन का समय ही दे दीजिए. माफी न मांगे तो सीधे मंत्रिमंडल से बर्खास्त कीजिए,सुशील मोदी को. डर लगता है. जरूर कोई कमजोर नस दबा दिया है सुशील मोदी ने. सृजन-विसर्जन टाइप कोई नस तो है, जिसने आप� जैसे पोटेंशियल स्टेट्समैन को भीगी बिल्ली बना दिया है.

 

मुजफ्फरपुर की नवरुणा की हत्या हो या पूर्व मेयर समीर कुमार की. जमीन का कनेक्शन हर जगह है. आज मोतीहारी शहार की जमीन 1 करोड रुपये कठ्ठा बिक रही है. भगवान जाने किसके पास इतना पैसा है, कहां से बिहार जैसे गरीब राज्य में इतना पैसा आ रहा है. लेकिन, आप मेरे इतने मूर्ख तो नहीं है नीतीश जी कि आपको इस सब की जानकारी नहीं होगी. पटना के मुख्य चौराहों पर कैसे आपके चहेतों ने कब्जा जमाया है, ये भी आपको मालूम है. आपको ये भी मालूम है कि एक वक्त अपहरण के जरिए पैसा कमाने वाले लोग (नेता-अपराधी-पुलिस गठजोड) ने अब कमाई का नया तरीका ढूंढ निकाला है. वह है, जमीन की दलाली.

 

नीतीश जी, किसी भी शहर के 5 किलोमीटर के रेडियस में आज भू-माफियाओं का कहर जारी है. इसमें कहा तो ये भी जा रहा है कि इन्हें पुलिस-प्रशासन का भी पूरा सहयोग मिलता है. इसमें स्थानीय नेता, अपराधी, व्यापारी, पुलिस-प्रशासन, सब की मिलिभगत है. ये पहले अनुरोध कर के जमीन हथियाते है, फ़िर डराते है, जमीन मालिक फिर भी न माने तो सात पुश्त पहले के किसी रिश्तेदार से केस करवाते है, फिर भी न माने तो जान मार देते है. अब इसका कितना हिस्सा राजनीतिक दलों के खाते में जाता है, जरा इसकी जांच करवाइए. या मान लिया जाए कि इसका एक हिस्सा आपके दल को भी मिलता है?

 

13 साल से आप सीएम है. पहले कार्यकाल में आपने जो उम्मीदें जगाई थी, आज भरभरा कर ढह चुकी है. आप शराबबंदी के नशे में ऐसे डूबे, अंतरात्मा की आवाज इतना अधिक सुनने लगे कि आपको जनता की आवाज सुनाई देनी ही बंद हो गई. आप अपनी ही जनता की आकान्क्षाओं को नहीं समझ पा रहे है. फिर से वहीं पलायन, वहीं अपराध. शिक्षा के स्तर पर तो बात ही करना बेकार है. छात्र कोटा में है और शिक्षक सुप्रीम कोर्ट में. अपने वेतन के लिए लड़ रहा है. गुजरात से उधार लिए ठेका प्रथा के सहारे आपने बिहार के भविष्य को भी ठेका पर दे दिया है. ठेका का नतीजा भी “ठेंगा” ही मिलेगा. मजदूर पंजाब में, युवा दिल्ली में नौकरी कर रहा है. गांव के गांव वृद्ध मां-बाप से भरे है. इस सब के बीच जो वहां बच गए है, वे अपने भाग्य से जी रहे है. एक छोटा समूह ऐसा बन गया है जो लुट चुके बिहार को जितना हो सके लूटने में लगा हुआ है.

 

समीर कुमार की हत्या और उससे पहले भी दरभंगा में इंजीनियर हत्याकांड में एके47 का इस्तेमाल हुआ. यानी, वो युग बिहार में फिर लौट आया, जब एके47 बिहार के हर एक शहर के लिए देसी कट्टे जैसा हो गया था. विधायक, गुंडे, मंत्री सब इसी एके 47 से मारे जा रहे थे तब. आज आम आदमी भी मारा जा रहा है. अब इतनी गोलियां चलने के बाद भी, आपकी अंतरात्मा सोई हुई है तो निश्चित ही आपको आपके जोड़ीदार ने किसी भारी नशे का गुलाम बना लिया है. वर्ना, एक राज्य का उपमुख्यमंत्री अपराधियों से हाथ जोड कर विनती करें और आपकी अंतरात्मा सोई रहे, ये हो नहीं सकता था.

मुख्यमंत्री महोदय, नींद से तो कुंभकर्ण भी जागा था. जब बड़े भाई को उसकी जरूरत पडी. आज बिहार को 2005 वाला नीतीश कुमार चाहिए. जो कड़े फैसले ले सके. आपका तो अपना कोई वोट बैंक भी नहीं है. फिर किसकी चिंता करते है. आप वोट बैंक से नहीं लोगों की आकान्क्षा से सीएम बने थे. आपने उन आकान्क्षाओं पर ही कुठाराघात कर दिया है.

नींद से जागिए महोदय. कुछ करिए. कभी आप ही दिल्ली में घूम-घूम कर कहते थे कि लालू यादव का राज बैड गवर्नेंस नहीं, एब्सेंस ऑफ गवर्नेंस (शासन की अनुपस्थिति) का उदाहरण था. आपकी सरकार भी एब्सेंस ऑफ गवर्नेंस की तरफ ही बढ़ रही है.

ये लेख़क के अपने विचार है.