द्वारिका शारदा पीठ के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद ने कहा है कि देश में धर्म की अवहेलना हो रही है। अधर्म को बढ़ावा मिल रहा है। दंड विधान की जरूरत तब पड़ती है जब धर्म की अवमानना होती है। उन्होंने कहा कि देश में भ्रष्टाचार व बेईमानी बढ़ी है। महिलाओं पर अत्याचार हो रहे हैं। दुष्कर्मी को मृत्यु दंड हो सकता है इसके बावजूद लोग ऐसा कर रहे हैं। पाप पुण्य को भूल कर लोग भौतिकवादी हो रहे हैं। धर्म की सही शिक्षा से ही अत्याचार रुक सकता है।
उन्होंने कहा कि अत्याचार अधिक बढ़ने पर ही आदि शंकराचार्य ने सनातन धर्म की स्थापना की थी एवं सभी का धर्म एक ही था।कोई मुस्लिम या अन्य धर्मी नही बल्कि सभी सनातनी है और सबका धर्म सनातन(हिन्दू)है। उन्होंने कहा कि नेपाल और भारत के बीच एकता का आधार भी पशुपतिनाथ और विश्वनाथ मंदिर था। अब ऐसा नहीं है। राम मंदिर मुद्दे पर स्वरूपानंद ने कहा कि यहां समस्या कुछ और है किया कुछ और जा रहा है। उन्होंने कहा कि राम जन्म भूमि पर ही मंदिर बना है यहां कभी मस्जिद नहीं था। यहां कभी बाबर आया ही नहीं और न ही कभी यहां अजान ही हुई। केवल मंगल कलश और चित्र था। इस मामले को सही रास्ते में लाने के लिए राम जन्म भूमि पुनरोद्धार कमेटी बनी थी। आज भी यह काम कर रही है एवं आगामी 13 मार्च को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई में कमेटी ही अपना पक्ष रखेगी। इस मामले में मुसलमानों से बातचीत करने का सवाल ही नहीं उठता है।
तीन तलाक के मुद्दे पर उन्होंने कहा कि इसके लिए कानून बनाने के बजाय हिन्दुओं की तरह मुसलमानों के लिए भी एक पत्नी रखने का कानून बनाया जाये। चार-चार पत्नियों की जगह केवल एक ही पत्नी हो तो तलाक देने के लिए उन्हें कई बार सोचना होग, और वहीँ अगर मुस्लिम समाज के बीच ऐसा ही चलता रहा तो इससे अन्य धर्म के लोगों को अधर्म की शिक्षा मिलेगी।मोदी सरकार के द्वारा गौ हत्या बंद करने के लिए प्रयास नहीं किया। उनके सत्ता में आने से पहले जैसा था उससे अब गौ हत्या हो रही है सरकारी कत्लखानो की तादाद बड़ी है। मूर्तियां तोड़ने के मुद्दे पर उन्होंने कहा कि यह सब राजनीती है और कुछ चुनिंदा लोग जो किसी धर्म को नीचा दिखा कर आपसी तनाब बनाना चाहते है।