पटना : पटना में आज करवाचौथ की धूम छाई रही। करवाचौथ का असर बाजारों में खूब दिखा। करवाचौथ को लेकर दो दिनों सही बाजार सजा था। पत्नियों ने व्रत को लेकर खूब खरीदारी की। आज सभी पत्नियों ने अपने पति के लिए वर्त रखकर उनकी लंबी उम्र के लिए पूजा की। कुछ जगहों पर पत्तियों ने भी अपनी पत्नियों के लिए व्रत रखा। आज करवाचौथ पूजा का शुभ मुहूर्त 1 घंटा 17 मिनट का था। इसका समय संध्या 5 बजकर 5 मिनट से 6 बजकर 25 मिनट था। आज चांद रात के 7:32 मिनट में दिखा। चतुर्थी तिथि आरंभ होने का समय 7:38 मिनट रहा। इसके बाद पत्नियों ने अपने चांद की पूजा और अर्घ्य अर्पण करने के बाद पति की पूजा कर अपना व्रत खोला। पटना की औरतें वर्षों से करवाचौथ का व्रत रख रही हैं। हालांकि यह पहले भी पटना में पंजाबी परिवारों में होता रहा था। लेकिन पिछले कुछ सालों से पटना में यह अधिक बढ़ गया है। इस वजह से बाजार में करवाचौथ की धूम बनी रहती है। बाजार पूरी तरह से करवाचौथ में भरा रहता है। पटना साहिब जैसे इलाकों में घरों को सजाया भी जाता है, महिलाएं एक-दूसरे के यहां इस व्रत पर उनके घर भी जाती हैं। और करवाचौथ को धूमधाम से मनाती हैं।
महिलाओं ने रखी अपनी राय
करवाचौथ करने वाली बोरिंग रोड निवासी कंचन माला ने बताया, मैंने जब इस व्रत के बारे में जाना तब से मैंने भी इस व्रत को करना शुरू कर दिया था, अब तो मैं 6 सालों से व्रत कर रही हूं।
राजा बाजार की अस्मिता कुमारी ने कहा, ‘मैं और मेरे पति इस व्रत को साथ में रखते हैं, हम दोनों चांद को देखकर ही व्रत को तोड़ते हैं। काफी अच्छा लगता है जब वो मेरे साथ व्रत तोड़ते हैं।’
जगदेव पथ की अंजिला कुमारी ने कहा, पांच सालों से इस व्रत को रख रही हूं, हर बार वो कहीं भी रहें लेकिन छुट्टी लेकर घर जरूर आते हैं।’
शास्त्रीनगर की निवासी शिम्पी सिंह ने कहा, ‘मेरी शादी 8 साल पहले हुई थी, मैं तब से यह व्रत कर रही हूं। मेरे घर पर बिल्डिंग के सभी लोग आते हैं और हम साथ में इस पर्व को इंजोय करते हैं।’
करवाचौथ का क्या महत्व है ?
करवाचौथ को ‘करक चौथ’ के रूप के रूप में भी जाना जाता है। इसे ‘संकष्टी गणेश चतुर्थी’ भी कहा जाता है। करवा या करक का अर्थ मिट्टी का बना वो पदार्थ होता है जिसमें पानी अर्ध्य के रूप में रखा जाता है और चंदमा को समर्पित किया जाता है। इसमें पूजा के दौरान करवा का बहुत महत्व होता है, इसे ब्राहम्ण या योग्य महिला को दान किया जाता है। शादीशुदा महिलाएं करवाचौथ का व्रत अपने पति की लंबी उम्र के लिए रखती हैं। व्रत के दौरान महिलाएं भगवान शिव एवं उनके परिवार के सदस्यों विशेषकर भगवान गणेश की पूजा करती हैं। दिन भर के व्रत के बाद महिलाएं शाम को चांद निकलने पर अर्घ्य देते हुए छलनी के माध्यम से पहले चांद फिर अपने पति का चेहरा देखकर अपना व्रत खोलती हैं।