यथार्थ और आदर्श के बीच से होकर ही साहित्य की सरिता प्रवाहित होती है।
‘जँ अहाँ सुनितहुँ’ लघुकथा संग्रह में लेखक डॉक्टर सत्येन्द्र कुमार झा ने बिम्बों और प्रतीकों के द्वारा विभिन्न सामाजिक मुद्दों पर ध्यान खींचा है। यह लेखक की तीसरी किताब है। पहली लघुकथा संग्रह ‘अहींकेँ कहै छी। दोनों पुस्तकों को पढने पर निरन्तर परिक्व होती लेखनी का आभास सहजता से हो जाता है। डॉक्टर भीमनाथ झा ने पुस्तक लोकार्पण के अवसर पर कहा। डॉक्टर सत्येन्द्र कुमार झा की लघुकथा संग्रह के लोकार्पण समारोह के अवसर पर डॉक्टर भीमनाथ झा कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे थे।
अखिल भारतीय मैथिली साहित्य परिषद परिसर दिग्घी पश्चिम दरभंगा के सभागार में समारोह पूर्वक आयोजित इस कार्यक्रम में समीक्षक के रूप में उपस्थित विद्वद्जनों,सामान्य पाठकों ने इस किताब के बारे में अपनी टिप्पणी में कहा कि समाज में फैल रहे निराशा ने लेखक पर काफी प्रभाव डाला है। लेखक यथार्थ का चित्रण करते हुए पाठकों की संवेदना को झकझोरने में कामयाब हुए
हैं। विभिन्न सामाजिक पक्षों को स्पर्श करने का प्रयास भी सफल है पर शिल्पविधान में इनका नाटककार इनके कथाकार पर हावी लगता है जो लेखन के प्रभाव को खण्डित करता है। उन्होंने कहा कि इस पुस्तक की ‘कौवा’ शीर्षक कथा सबसे अच्छा लगा।
डॉक्टर अमलेन्दु शेखर पाठक ने अपनी राय रखते हुए कहा कि लेखक ने सामाजिक घटनाओं को संजीदगी से उकेरा है।तमाम कुरीतियों और अनाचारों के प्रति सजगता फैलाते हुए इन्होंने समाज को चेताया भी है। डॉक्टर पाठक ने लेखक के सुखद भविष्य की कामना की तथा इस किताब को
लघुकथा के लिए मील का पत्थर कहा। समारोह का शुभारंभ करने के बाद अपना उद्गार व्यक्त करते हुए फूलचंद्र मिश्र रमण ने कहा कि लेखक ने अपनी इस पुस्तक मे समाज को एक नवीन दृष्टिकोण से देखने की कोशिश की है, जो इनकी लेखनी को विलक्षणता प्रदान करती है।
डॉक्टर पंचानन मिश्र ने अपना विचार रखते हुए कहा इस पुस्तक की सभी इक्यावन कथाएँ एक से बढकर एक हैं जो हमें कटु यथार्थ से परिचित कराता है।
डॉक्टर उषा चौधरी ने अपनी बात कहने के क्रम में कहा कि सत्येन्द्र जी जितने अच्छे साहित्यकार हैं उतने ही अच्छे व्यक्ति भी हैं। लेखक की पहली किताब के प्रकाशन से दूसरी किताब के प्रकाशन मे काफी वक्त लगा पर तीसरी किताब अपेक्षाकृत जल्दी आयी है। अब हमारी आशा बढ गई है।
इस अवसर पर लेखक डॉक्टर सत्येन्द्र कुमार झा ने अपने मन की बात करते हुए कहा कि समाज की हर छोटी बड़ी घटना मुझे उद्वेलित करती है और लिखने को विवश करती है। आगे हमारी योजना एक समीक्षाग्रंथ लाने की है। पाठकों से मिल रहे स्नेह के लिए डॉक्टर झा ने उनके प्रति आभार प्रकट किया।
कुल मिलाकर वक्ताओं ने पुस्तक और लेखक दोनों की सराहना मुक्तकंठ से की।मैथिली लेखक मंच दरभंगा के तत्वावधान में डॉक्टर भीमनाथ झा की अध्यक्षता में आयोजित पुस्तक लोकार्पण समारोह का संचालन चन्द्रेश जी ने तथा धन्यवाद ज्ञापन मोहन मुरारी, ने किया। इस अवसर पर हीरेन्द्र कुमार झा,टुनटुन झा अचल, श्याम भास्कर, शिवम झा,शिवानी झा सांडिल्य, राकेश चन्द्र नन्दन,सुमित मिश्र गुंजन, विवेक ओवेराय,शिवम झा,सहित नगर दर्जनों साहित्य प्रेमी व विद्वद्जनों की गरिमामयी उपस्थिति बनी रही।
रिपोर्ट- अखिलेश कुमार झा