मो. क़ायम साबरी

विचार : CAA और NRC को लेकर तरह-तहर के आवाज सुनने को आ रही है, कोई गुमराह कह रहा है तो कोई पार्टीˈपॉलटिक्‍स्‌ . मगर ध्यान देनी वाली बात ये है कि इसका विरोध करने वाले ज्यादातर पढ़े लिखे लोग है. इसका अंदाजा आप इस बात से लगा सकते है की जिस जामिया ने 2006 से कोई विरोध नहीं किया वो आज सड़कों पर आ निकली है. साथ ही साथ 22 से ज्यादा विश्वविद्यालय ने इसका विरोध किया है. सोचने वाली बात है. क्या ये विश्वविद्यालय के बच्चे जाहिल है जो इसका विरोध कर रहे है.

अगर आप गोदिया मीडिया को देखते है तो इस सवाल का जवाब आप को मिल जायेगा की सड़कों पर निकली आवाम को गुमराह कहने वाला कौन है. गुमराह और जाहिल कोई है तो वो बस गोदी मीडिया है. जिसने मीडिया के सिद्धांतो को किसी एक के कदमों में रख कर खुद को उसका गुलाम बना लिया है. गोदी मीडिया से सरकार द्वारा बार-बार टीवी चैनलों से कहलवाया जा रहा है कि जनता गुमराह है. उसे कुछ नहीं पता. अभी तो NRC लागू ही नहीं हुआ. अभी तो उसका ड्राफ्ट ही तैयार नहीं हुआ.

पढ़ी-लिखी जनता को NRC और CAA में कहीं किसी को कोई कन्फूशन नहीं गोदी मीडिया समझ ले. सबको मालूम है कि NRC नागरिकता देने का नहीं, छीनने का क़ानून है. अगर एनआरसी नागरिकता देने का क़ानून है तो असम में NRC के दौरान देश के पूर्व राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद के परिवार की नागरिकता क्यों छिन गई जबकि उनके पास सभी वैध डॉक्युमेंट्स थे? साथ ही सेना के अफसरों और जवानों के उन परिवारों की नागरिकता क्यों छीन ली गयी जो देश की सेवा कर रहे हैं या कर चुके हैं? इसलिए हमें असम को टेस्ट केस के रूप में देखना चाहिए. जिससे बीजेपी ने सीख ली है. जिसके बाद बीजेपी ने नागरिकता संशोधन क़ानून (CAA) बना दिया.

इसका असर क्या होगा, इसको भी बहुत सिंपल भाषा में समझा जा सकता है. समझाने से पहले एक बात कहना चाहता हूँ. जो दलाल टाइप पत्रकार लोग ये कह रहे हैं कि NRC और CAA दो अलग चीज़ें हैं और इनका एक-दूसरे से कोई लेना-देना नहीं, उन महामूर्खों को समझाने की कोशिश है, शायद समझ जाए.

बात की शुरुआत असम से करते है. असम में एनआरसी में ज्यादातर नॉन-मुस्लिमों का नाम NRC रजिस्टर में नहीं चढ़ पाया, जिसके बाद खुद बीजेपी ने NRC के रिजल्ट को बोगस बताने लगी. सरकार ने इस नाकामयाबी को कामयाबी में बदलने के लिए CAA कानून को अपने अनुसार अमलीजामा पहना दिया. साथ ही साथ सरकार असम के साथ-साथ पुरे देश में NRC लाने के बात कहने लगी. CAA में एक ऐसी व्यवस्था की गयी कि सिर्फ मुसलमानों को छोड़कर बाकी सभी धर्मों के लोगों को NRC में नाम ना आने की सूरत में पिछले दरवाजे से नागरिकता दी जा सके.

सरकार ने देश के नागरिकता क़ानून में संशोधन कर एक प्रावधान उसमें जोड़ा कि पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से भारत आये सभी मज़हब के लोगों को (मुसलमानों को छोड़कर) यहां की नागरिकता मिल जाएगी. CAA के बाद NRC लागु होता है, तब किसी मुसलमान का नाम NRC के रजिस्टर में नहीं चढ़ा तो उसे घुसपैठिया करार देकर परिवार समेत यातना झेलने के लिए डिटेंशन कैंप में डाल दिया जाएगा. वही किसी अन्य धर्म के व्यक्ति का नाम देशव्यापी NRC में नहीं आया तो CAA क़ानून के तहत उसे भारत की नागरिकता दे दी जायेगी. नतीजा ये होगा कि करोड़ों मुसलमानों को देश में घुसपैठिया करार देकर उनसे वोटिंग समेत तमाम अधिकार छीन लिए जाएंगे और डिटेंशन कैम्प में ठूंसकर जानवर से बदतर ज़िन्दगी जीने को मजबूर कर दिया जाएगा. ये बहुत बड़ा गेम प्लान है, जिसे सरकार अंजाम देने की कोशिश कर रही है.

मगर एक बात याद रखने की है NRC जितना नुकसान दे मुसलामनों के लिए है उतना ही अन्य धर्मों के लिए भी. उसे इस बात से समझा जा सकता है की अगर आप का नाम NRC में नहीं आया ( मुसलमानों को छोड़ कर) तब भी आप भारतीय नागरिक तो बन जाएंगे, मगर इसके लिए इन्हे सालों मसक्कत करनी पड़ेगी. उन्हें अब खुद को शरणार्थी शाबित करना पड़ेगा. इसके लिए उन्हें पाकिस्तान,बांग्लादेश या अफगानिस्तान से भागकर आये है बतलाना पड़ेगा. इसके लिए आप को कोई न कोई सर्टिफिकेट दिखाना होगा जहाँ से आप भाग कर आये है. ऐसे में आप को फर्जी सर्टिफिकट का सहारा लेना पड़ेगा. इस दौरान आप की चल-अचल सम्प्रति पर आप का कोई अधिकार नहीं रह जाएगा.

अगर आप वर्षो से भारत में ही रहने वाले हिन्दू हैं और आपका नाम NRC में नहीं आ पाया तो क्या CAA के तहत आपको नागरिकता मिलेगी? मेरे ख्याल से नहीं, क्योकि CAA सिर्फ शरणार्थियों को नागरिकता देने का काम करेगी जिनके पास शरणार्थी होने का प्रूफ होगा. एक बात और गौर करने की है, आप मुसलमान हों या हिन्दू, या किसी भी धर्म के हो जैसे ही आपका नाम NRC से हटा, आपकी सरकारी नौकरी छीन ली जाएगी और सारे नागरिक अधिकार खत्म कर दिए जाएंगे. मतलब आप अपने ही देश में विदेशी घुसपैठिये घोषित कर दिए जाएंगे और डिटेंशन कैम्प में ठेल दिए जाएंगे.

आज देशभर में CAA का मुस्लिम समुदाय पूरज़ोर ढंग से जो विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं, इसका मुख्य कारण नागरिकता क़ानून संशोधन में मुस्लिम समुदाय के लोगों के लिए कोई जगह नहीं है. अगर NRC में उनका नाम नहीं आ पाया तो CAA के तहत भी उन्हें नागरिकता नहीं मिल पाएगी, जबकि दूसरे धर्म के लोग यहां की नागरिकता हासिल कर सकते हैं, वो भी अपनी चल-अचल सम्पति को बलिदान देकर और खुद को शरणार्थी साबित करने के बाद, वो भी अबतक गारंटेड नहीं है.

संविधान विशेषज्ञों और क़ानून के जानकारों की बात करे तो उनका भी कहना है कि धर्म के आधार पर भारतीय संविधान के तहत शरणार्थियों को भी नागरिकता देने में भेदभाव नहीं किया जा सकता. आज भारत में मुसलमानों की लगभग आबादी 20 करोड़ है. जिनमे से चंद मुसलमान ही सड़क पे उतरे है. अगर इस समुदाय की आधी आबादी भी सड़क पर उतर गयी तो सरकार के लिए हालात को काबू करना मुश्किल हो जाएगा. आप को याद दिलाता चालू की देशभर में मुसलमानों के साथ-साथ सभी मज़हबों के लोग NRC के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं. इस आंदोलन के ओर उग्र होने पर प्रदर्शनकारियों की तादाद का अंदाज़ा आप लगा सकते है. सरकार ने प्रदर्शन को रोकने के लिए दमनकारी नीति अपनायी है. जो प्रदर्शन को और उग्र रूप देने का काम कर रहा है. सरकार इंटरनेट और फोन सेवा बन्दकर धारा 144 लगा कर भीड़ को ख़त्म करने की रणनीति बनायीं है तो वही जनता पुराने तरीक़ों का इस्तेमाल कर भारी संख्या में जुट जा रहे हैं. एक बात गौर करने की है ये नेताविहीन भीड़ कभी भी बेकाबू हो सकती है.

NRC और CAA पर केंद्र सरकार घिर गई है. इसकी हालत सांप छुछुंदर वाली हो गयी है. ना निगलते बन रहा है और ना उगलते. इधर जनता का गुस्सा बढ़ता जा रहा है. अगर जल्द ही केंद्र सरकार ने शक के बादल नहीं हटाए और समझदारी भरा कदम नहीं उठाया तो फिर क्या होगा, इसका अंदाज़ा आप लगा लीजिये. सरकार ने जल्द इसपर संवैधानिक फैसला नहीं लिया तो इस देश को सीरिया बनने से नहीं रोका जा सकता. आज प्रधानमंत्री ने खुले मंच से NRC पर जिस तरह साफ़-साफ़ झूठ बोला वो देश को ओर गुमराह करने वाला. प्रधानमंत्री ने कहा NRC पर कोई बात ही नहीं हुई है. सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर NRC असम में लागु किया गया. उसके बाद हमारी सरकार की ओर से इस पर कोई बात नहीं हुई है. जबकि आपको याद दिलाता चालू की संसद भवन में गृह मंत्री अमित शाह ने साफ़ शब्दों में कहा था कि देश में NRC लागु होगा वो भी बहुत जल्द. प्रधानमंत्री और गृह मंत्री के इस विरोधाभाष ने देश में शांति नहीं अशांति को न्योता देगी. वही एक तरफ प्रधानमंत्री ने देश में डिटेंशन कैंप न होनी कि बात कही है तो दूसरी ओर डिटेंशन कैंप के वीडियो वायरल है. इसकी सत्यता कि पूर्ण जानकारी मुझे नहीं है. इस पर टिका टिप्पणी करने से बचूंगा. इसके साथ ही गोदी मीडिया को भी NRC और CAA के दोनों पहलु पर बात करनी चाहिए. समय रहते आप ने देश कि जनता को दोनों पहलू को नहीं समझाया तो देश के इस हालत पर इतिहास में आपका इतिहास काले अक्षरों में लिखा जाएगा.