नई दिल्‍ली: देश की सबसे बड़ी हाउसिंग कंपनी DHFL (दीवान हाउसिंग फाइनेंस लिमिटेड) दिवालिया हो सकती है। कंपनी इसके लिए नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल में जल्द आवेदन कर सकती है। अगर कंपनी ने इसके लिए आवेदन नहीं किया तो बैंक अपनी तरफ से ऐसा कर सकते हैं। सरकार के एक नोटिफिकेशन के बाद अब यह कंपनी भी इस प्रक्रिया में शामिल हो सकती है।

कंपनी मामलों के मंत्रालय ने 18 नवंबर को जारी एक नोटिफिकेशन में इंसॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड IBC के सेक्शन 227 में बदलाव करते हुए कहा है कि अब 500 करोड़ से ज्यादा की वैल्यू वाली एनबीएफसी कंपनियां भी दिवालिया प्रक्रिया के लिए आवेदन कर सकती हैं।
आरबीआई से नहीं लेनी पड़ेगी मंजूरी
मनीकंट्रोल.कॉम/सीएनबीसी की खबर के अनुसार कंपनी को दिवालिया प्रक्रिया में ले जाने के लिए बैंकों को भारतीय रिजर्व बैंक से भी मंजूरी नहीं लेनी पड़ेगी। बैंक अब DHFL की फाइल को सीधे एनसीएलटी में भेज सकती हैं। आरबीआई इसके बाद कंपनी को चलाने के लिए अपनी तरफ से एक प्रशासक को नियुक्त कर सकती है।
कंपनी पर कुल 85 हजार करोड़ रुपये का कर्ज है। केवल बैंकों का ही 38 हजार करोड़ रुपये का बकाया है। बैंक, म्यूचुअल फंड, नेशनल हाउसिंग बैंक, यूपी पावर कॉर्पोरेशन और अन्य जमा करने वालों का पैसा फंसा पड़ा है।
UPPCL घोटाले में नाम
साल 2017 से अब तक यूपीपीसीएल ने 4,100 करोड़ रुपये से ज्यादा का रिटायरमेंट फंड हाउसिंग फाइनेंस कंपनी दीवान हाउसिंग फाइनेंस लिमिटेड DHFL में निवेश किया है। इसमें से यूपीपीसीएल को केवल 1,855 करोड़ रुपये ही मिले हैं।
सुधांशु द्विवेदी और प्रवीण गुप्ता ने ने उत्तर प्रदेश स्टेट पावर सेक्टर इम्प्लाइज ट्रस्ट एवं उत्तर प्रदेश पावर कॉर्पोरेशन अंशदायी भविष्य निधि ट्रस्ट में जमा जीपीएफ व सीपीएफ की धनराशि को DHFL में लगा दिया गया था। उस समय प्रवीण सीपीएफ और जीपीएफ ट्रस्ट का कार्यभार संभाल रहे थे।
उन्होंने तत्कालीन निदेशक वित्त सुधांशु द्विवेदी से अनुमोदन प्राप्त कर वित्त मंत्रालय, भारत सरकार के 2015 के आदेश को दरकिनार करते हुए फंड की 50 प्रतिशत से अधिक राशि को DHFL में निवेश किया।
गौरतलब है कि DHFL अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक की श्रेणी में शामिल नहीं है।
साल 2017-18 में ऑडिट की गई वित्तीय रिपोर्ट के अनुसार डीएचएफएल की कुल संपत्ति 8,795 करोड़ रुपये है जबकि लेनदारी बहुत ज्यादा है। कंपनी ने बैंकों (भारतीय और विदेशी दोनों) के साथ-साथ वित्तीय संस्थानों से 96,880 करोड़ रुपये का कर्जा ले रखा है। वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार कंपनी ने कम से कम 36 बैंकों से कर्ज लिया है- जिसमें 32 राष्ट्रीयकृत और निजी बैंकों के साथ-साथ छह विदेशी बैंक भी शामिल हैं। 32 राष्ट्रीयकृत बैंकों में, भारतीय स्टेट बैंक ने DHFL को सबसे ज्यादा 12,000 करोड़ रुपये का कर्ज स्वीकृत किया था। इसके बाद बैंक ऑफ बड़ौदा (4,396 करोड़), बैंक ऑफ इंडिया (4,150 करोड़) और केनरा बैंक (3,100 करोड़) का नंबर आता है।
कंपनी पर 83,873 करोड़ रुपये बकाया
DHFL के रिजॉल्यूशन प्लान के अनुसार कंपनी पर नॉन-कन्वर्टिबल डिबेंचर (एनसीडी) का 41.431 करोड़ रुपये बकाया है। वहीं बैंकों का 27,527 करोड़ रुपये, 6,188 करोड़ की एफडी, 2,747 करोड़ रुपये की एक्सटर्नल कमर्शियल बॉरोइंग (ईसीबी), नेशनल हाउसिंग बैंक (एनएचबी) के 2,350 करोड़, सब-कर्ज और पर्पेचुअल कर्ज क्रमश: 2,267 करोड़ और 1.263 करोड़ रुपये और कमर्शियल पेपर 100 करोड़ रुपये के हैं। इस तरह कंपनी पर कुल 83,873 करोड़ रुपये बकाया है।