दिल्ली: अनुच्छेद 370 के बाद जम्मू कश्मीर और लद्दाख में हुई नए युग की शुरुआत के बाद प्रधानमंत्री ने देश को संबोधित किया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के नाम इस संबोधन में कहा
पूरे देश ने एक परिवार के तौर पर एक ऐतिहासिक फ़ैसला लिया है. एक ऐसी व्यवस्था को हटाने का, जिसकी वजह से जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के हमारे भाई-बहन अनेक अधिकारों से वंचित थे. उनके विकास में जो बाधा थी, वह हमारे प्रयासों से दूर हो गई है.
जो सपना सरदार पटेल, बाबा साहब आंबेडकर, डॉक्टर श्यामा प्रसाद मुखर्जी, अटल जी और करोड़ों देश भक्तों का था, वह अब पूरा हुआ है.
जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में एक नए युग की शुरुआत हुई है. अब देश के नागरिकों के हक़ भी समान हैं और दायित्व भी समान हैं. मैं जम्मू-कश्मीर के लोगों को, लद्दाख के लोगों को और सभी देशवासियों को दिल से बहुत बधाई देता हूं.
समाज में कई बार ऐसी चीज़ें होती हैं जिन्हें मन में स्थायी भाव मिल जाता है. ऐसा लगता है कि कुछ नहीं बदल सकता. अनुच्छेद 370 के साथ भी ऐसा ही हुआ था. इसके कारण जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के हमारे भाई-बहनों और हमारे बच्चों की जो हानि हो रही थी, उसकी चर्चा ही नहीं होती थी. हैरानी की बात यह है कि आप किसी से भी बात करें तो कोई यह भी नहीं बता पाता था कि अनुच्छेद 370 से जम्मू-कश्मीर के लोगों के जीवन में क्या लाभ हुआ.
आर्टिकल 370 और 35ए ने जम्मू-कश्मीर को अलगाववाद, आतंकवाद, परिवारवाद और व्यवस्थाओं में बड़े पैमाने पर फैले भ्रष्टाचार के अलावा कुछ नहीं दिया. इन दोनों अनुच्छेदों का इस्तेमाल पाकिस्तान द्वारा देश के ख़िलाफ़ कुछ लोगों की भावनाएं भड़काने के लिए हथियार के तौर पर किया जा रहा था. इस कारण पिछले तीन दशक में लगभग 42000 निर्दोष लोग मारे गए. यह आंकड़ा किसी की भी आंखों में आंसू ला सकता है.
जम्मू-कश्मीर और लद्दाख का विकास उस गति से नहीं हो पाया जिसका वह हक़दार था. अब जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के लोगों का वर्तमान तो सुधरेगा ही, उनका भविष्य भी सुधरेगा.
कोई भी सरकार देश की भलाई के लिए काम करती है, फिर वह किसी भी दल या गठबंधन की सरकार क्यों न हो. यह कार्य निरंतर चलता रहता है. क़ानून बनाते समय संसद में काफ़ी बहस होती है, संसद के बाहर भी काफ़ी चर्चा होती है. उस क़ानून की आवश्यकता और प्रभाव को लेकर गंभीर पक्ष रखे जाते हैं. इस प्रक्रिया से गुज़रकर जो क़ानून तैयार होता है वह पूरे देश के लोगों का भला करता है. लेकिन कोई कल्पना नहीं कर सकता कि संसद इतनी बड़ी संख्या में क़ानून बनाए और वह क़ानून देश के एक हिस्से में लागू ही न हो.
यहां तक कि पहले की जो सरकारें कोई एक क़ानून बनाकर वाहवाही लूटती थीं, वो भी यह दावा नही कर पाती थी कि उनका बनाया क़ानून जम्मू-कश्मीर में भी लागू होगा. जो क़ानून देश की आबादी के लिए बनता था उसके लाभ से जम्मू-कश्मीर के डेढ़ करोड़ से ज़्यादा लोग वंचित रह जाते थे.
सोचिए, देश के अन्य राज्यों में बच्चों को शिक्षा का अधिकार है लेकिन जम्मू कश्मीर के बच्चे इसस वंचित थे. क्या गुनाह है उन बच्चों का? देश के अन्य राज्यों में बेटियों को जो सारे हक़ मिलते हैं, वे हक़ जम्मू कश्मीर की बेटियों को नहीं मिलते थे. देश के अन्य राज्यों में सफ़ाई कर्मचारियों के लिए सफ़ाई कर्मचारी एक्ट लागू है मगर जम्मू-कश्मीर के सफ़ाई कर्मचारी इससे वंचित थे.
देश के अन्य राज्यों में दलितों पर अत्याचार रोकने के लिए सख्त क़ानून लागू है मगर जम्मू-कश्मीर में ऐसा नहीं था. देश के अन्य राज्यों में अल्पसंख्यकों के हितों की रक्षा के लिए मॉइनॉरिटी लॉ लागू है मगर जम्मू-कश्मीर में यह नहीं है. वहां न्यूनतम दिहाड़ी का क़ानून भी काग़ज़ों में ही लटका मिलता था.
देश के अन्य राज्यों में चुनाव लड़ने के लिए अनुसूचित जाति-जनजाति के भाइयों को आरक्षण का लाभ मिलता था मगर जम्मू-कश्मीर में ऐसा नहीं था. अब आर्टिकल 370 और 35A के बीते हुए इतिहास की बात हो जाने के बाद उनके नकारात्मक प्रभावों से भी जम्मू-कश्मीर जल्द बाहर निकलेगा, इसका मुझे पूरा विश्वास है.
नई व्यवस्था में केंद्र सरकार की यह प्राथमिकता रहेगी कि राज्य के कर्मचारियों को, जिसमे पुलिस भी शामिल है, दूसरे केंद्र शासित प्रदेश के कर्मचारियों और वहां की पुलिस के बराबर सुविधाएं मिलें. अभी केंद्र शासित प्रदेशों में अनेक ऐसी वित्तीय सुविधाएं, जैसे एलटीसी, एचआरए, एजुकेशन अलाउंस और हेल्थ स्कीम जैसी सुविधाएं दी जाती हैं. इनमें से अधिकांश जम्मू-कश्मीर के कर्मचारियों और पुलिस परिवारों को नहीं मिलती. ऐसी सुविधाओं का तत्काल रिव्यू करवाकर जल्द ही मुहैवा करवाया जाएगा.
बहुत जल्द जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में सभी केंद्रीय और राज्य के ख़ाली पदों को भरने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी. इससे स्थानीय नौजवानों को रोज़गार के पर्याप्त अवसर मिलेंगे. साथ ही केंद्र सरकार की पब्लिक सेक्टर यूनिट और प्राइवेट सेक्टर की कंपनियों को भी रोज़गार के नए अवसर उपलब्ध करवाने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा.
सेना और अर्धसैनिक बलों में स्थानीय युवाओं की भर्तियों के लिए रैलियों का आयोजन होगा. सरकार द्वारा प्रधानमंत्री स्कॉलरशिप योजना का भी विस्तार किया जाएगा ताकि अधिक से अधिक विद्यार्थियों को इसका लाभ मिल सके. जम्मू-कश्मीर में राजस्व घाटा भी बहुत ज़्यादा है. केंद्र सरकार ये भी सुनिश्चित करेगी कि इसे दूर किया जाए.
केंद्र सरकार ने अनुच्छेद 370 हटाने के साथ ही कुछ कालखंड के लिए जम्मू-कश्मीर को सीधे केंद्र सरकार के शासन में रखने का फ़ैसला बहुत सोच-समझकर लिया है. इसकी वजह समझना महत्वपूर्ण है. जबसे वहां गवर्नर रूल लगा है, वहां का प्रशासन सीधे केंद्र सरकार के अधीन आ गया है. इस कारण बीते कुछ महीनों में वहां गुड गवर्नेंस और डेवेलपमेट का बेहतर प्रभाव ज़मीन पर दिखाई देने लगा है.
जो योजनाएं पहले कागज़ों में रह गई थीं, उन्हें अब ज़मीन पर उतारा जा रहा है. दशकों से लटके प्रॉजेक्ट्स को नई गति मिल रही है. हमने जम्मू-कश्मीर प्रशासन में नई कार्य संस्कृति और पारदर्शिता लाने का भरसक प्रयास किया है. इसका नतीजा है कि आईआईटी, एम्स, आईआईएम, इरिगेशन और पावर प्रॉजेक्ट या फिर एंटी करप्शन ब्यूरो के काम में तेज़ी आई है.
इसके अलावा वहां ट्रांसपोर्ट से जुड़े प्रॉजेक्टों, जैसे कि सड़कों, ट्रेनों और एयरपोर्टों से जुड़े कामों को तेज़ गति से आगे बढ़ाया जा रहा है. हमारे देश का लोकतंत्र इतना मज़बूत है मगर आप यह जानकर चौंक जाएंगे कि जम्मू-कश्मीर में दशकों से हज़ारों-लाखों की संख्या में ऐसे भाई-बहन रह रहे हैं जिन्हें लोकसभा के चुनाव में तो वोट डालने का अधिकार था मगर वे विधानसभा, पंचायत और नगर पालिका आदि के लिए न तो वोट डाल सकते थे न ही लड़ सकते थे.
ये वो लोग हैं जो 1947 में बंटवारे के बाद पाकिस्तान से भारत आए थे. हिंदुस्तान के हर राज्यों में उन्हें सब अधिकार हैं मगर जम्मू-कश्मीर में नहीं. क्या इन लोगों के साथ ऐसे ही अन्याय चलता रहता?
जम्मू-कश्मीर में अपने भाई-बहनों को एक और महत्वपूर्ण बात स्पष्ट करना चाहता हूं. आपका जनप्रतिनिधि आपके द्वारा आपके बीच से ही चुना जाएगा. जैसे पहले एमएएल थे, वैसे ही आगे होंगे, जैसे पहले कैबिनेट होती थी, वैसी ही आगे भी होगी. जैसे पहले आपके सीएम होते थे, आगे भी वैसे आपके मुख्यमंत्री होंगे.
मुझे पूरा विश्वास है कि इस नई व्यवस्था के तहत हम सभी मिलकर आतंकवाद और अलगाववाद से जम्मू-कश्मीर को मुक्त करवाएंगे. जब धरती का स्वर्ग, हमारा जम्मू-कश्मीर फिर एक बार विकास की नई ऊंचाइयों को पार करके पूरे विश्व को आकर्षित करने लगेगा, नागरिकों के जीवन में ईज़ ऑफ लिविंग बढ़ेगी, नागरिकों को उनके हक़ की चीज़ें बे रोक टोक मिलेंगी, शासन प्रशासन की पूरी व्यवस्था जनहित कार्यों को तेज़ी से आगे बढाएंगी, तो मैं नहीं मानता कि जम्मू-कश्मीर में केंद्र शासित प्रदेश क व्यवस्था को चलाए रखने की ज़रूरत होगी. हां, लद्दाख में बनी रहेगी.
हम सभी चाहते हैं कि जम्मू-कश्मीर में विधानसभा के चुनाव हों, नई सरकार बने, नए नौजवान एमएलए बनें, मंत्री बनें, मुख्यमंत्री बनें. मैं जम्मू-कश्मीर के लोगों को भरोसा देता हूं कि आपको बहुत ईमानदारी के साथ पूरे पारदर्शी वातावरण में अपने प्रतिनिधि चुनने का मौक़ा मिलेगा. जैसे पिछले दिनों पंचायत चुनाव पारदर्शिता के साथ करवाए गए, वैसे विधानसभा के भी चुनाव होंगे. मैं राज्यपाल से भी आग्रह करूंगा कि ब्लॉक डिवेलपमेंट काउंसिल का गठन, जो लंबे समय से लंबित है, वह भी जल्दी किया जाए.
मेरा ख़ुद का अनुभव है कि चार-पांच महीने पहले जम्मू-कश्मीर के पंचायत चुनावों में जो लोग चुनकर आए हैं, वे बेहतरीन काम कर रहे हैं. कुछ महीने पहले जब मैं श्रीनगर गया था तो उनसे मेरी लंबी मुलाक़ात भी हुई थी. जब वे दिल्ली आए थे मेरे घर पर, तब मैं काफ़ी देर तक उनसे बात करता रहा था. पंचायत के इन साथियों की वजह से जम्मू-कश्मीर में बीते दिनों ग्रामीण स्तर पर बहुत तेज़ी से काम हुआ है.
राज्य को खुले में शौच मुक्त बनाने जैसे कामों में पंचायत प्रतिनिधियों, ख़ासकर महिला पंच बहनों ने तो कमाल कर दिया. मुझे विश्वास है कि 370 हटने के बाद इन्हें नई व्यवस्था में काम करने का मौक़ा मिलेगा तो वे कमाल कर देंगे. मैंने देखा है और पूरा विश्वास है कि जम्मू-कश्मीर की जनता अलगाववाद को परास्त करके नई आशाओं, ऊर्जा और सपनों के साथ आगे बढ़ेगी. मुझे पूरा विश्वास है कि जनता गुड गवर्नेंस और पारदर्शिता के वातावरण में नई ऊर्जा के साथ लक्ष्यों को प्राप्त करेगी.
दशकों के परिवारवाद ने जम्मू-कश्मीर के युवाओं को नेतृत्व का अवसर ही नहीं दिया. अब युवा जम्मू-कश्मीर के विकास का नेतृत्व करेंगे और उसे नई ऊंचाइयों पर ले जाएंगे. मैं जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के नौजवानों और बहन बेटियों से विशेष आग्रह करूंगा कि अपने इलाक़े के विकास की कमान खुद संभालिए. जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में दुनिया की सबसे बड़ी टूरिस्ट डेस्टिनेशन बनने की क्षमता है. इसके लिए ज़रूरी बदलाव किए जा रहे हैं मगर इसमे हर हिंदुस्तानी का साथ चाहिए.
एक समय जब बॉलिवुड फ़िल्मों की शूटिंग के लिए कश्मीर पसंदीदा जगह थी. शायद ही कोई फ़िल्म थी जिसकी वहां शूटिंग न होती हो. कश्मीर में स्थितियां सामान्य होंगी तो देश ही नहीं, दुनिया भर के लोग यहां आएंगे. हर फ़िल्म अपने साथ कश्मीर के लोगों के लिए रोजगार के नए अनेक असवर भी लेकर आएगी. मैं हिंदी, तेलुगू और तमिल इंडस्ट्री से जुड़े लोगों से आग्रह करूंगा कि जम्मू-कश्मीर में निवेश के बारे में ज़रूर सोचें.
जो तकनीक की दुनिया से जुड़े लोग हैं, चाहे प्रशासन में हों या प्राइवेट सेक्टर में, उनसे भी आग्रह है कि अपनी क्षमता का इस्तेमाल करें कि कैसे यहां विकास हो सकता है. जब जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में डिजिटल कम्यूनिकेशन को बढ़ावा मिलेगा और बीपीओ सेंटर बनेंगे, उतना ही स्थानीय लोगो का जीवन आसान होगा. उनके रोज़ी-रोटी कमाने के अवसर बढ़ेंगे. सरकार ने जो फ़ैसला लिया है वो खेल की दुनिया में आगे बढ़ने की चाहत रखने वालों के लिए भी मददगार होगा. अच्छे और आधुनिक स्टेडियम, अकादमी और कोचिंग से उन्हें दुनिया में अपनी प्रतिभा दिखाने का मौक़ा मिलेगा.
जम्मू कश्मीर के केसर का रंग हो या कहवा का स्वाद, सेब की मिठास हो या खुमानी का रसीलापन, कश्मीरी शॉल हो या कलाकृतियां, लद्दाख के ऑर्गैनिक प्रॉडक्ट हों या हर्बल मेडिसिन; इनका प्रसार दुनिया भर में किए जाने की जरूरत है.
एक उदाहरण देता हूं, सोलो नाम का एक पौधा पाया जाता है. जानकारों का कहना है कि यह पौधा हाई ऐल्टिट्यूड पर रहने वालों के लिए, बर्फीली जगहों पर तैनात सुरक्षाबलों के लिए संजीवनी का काम करता है. कम ऑक्सिजन वाली जगह में इम्यून सिस्टम को संभाले रखने में इसकी भूमिका है. सोचिए, ऐसी चीज़ दुनिया भर में बिकनी चाहिए या नहीं? ऐसे अनगिनत पौधे, हर्बल प्रॉडक्ट जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में बिखरे हैं. उनकी पहचान होगी, बिक्री होगी तो वहां के किसानों को लाभ होगा. इसलिए मैं देश के उद्यमियों, एक्सपोर्ट या फूडप्रोसेसिंग से जुड़े लोगों से आग्रह करूंगा कि जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के स्थानीय प्रॉडक्ट्स को दुनिया भर में पहुंचाने के लिए आगे आएं.
केंद्र शासित प्रदेश बन जाने के बाद अब लद्दाख के लोगों का विकास भारत सरकार की स्वाभाविक ज़िमेदारी है. स्थानीय प्रतिनिधियों और लद्दाख डेवेलपमेंट काउंसिल के सहयोग से केंद्र सरकार विकास की तमाम योजनाओं का लाभ और तेज़ी से पहुंचाएगी. लद्दाख में आध्यात्मिक, अडवेंचर और ईको टूरिज़्म का सबसे बड़ा केंद्र बनने की क्षमता है. यह सोलर पावर का भी केंद्र बन सकता है क्योंकि पूरे देश में यहां के हालात सबसे अनुकूल हैं. इस क्षमता का उचित इस्तेमाल होगा और बिना भेदभाव विकास के लिए नए अवसर बनेंगे. अब लद्दाख के नौजवानों की इनोवेटिव स्पीरिट को भी मौक़ा मिलेगा. अच्छे संस्थान मिलेंगे, अच्छे अस्पताल मिलेंगे, इन्फ्रास्ट्रक्टर का आधुनिकीकरण होगा.
यह भी स्वाभाविक है कि लोकतंत्र में कुछ लोग इस पक्ष में हैं और कुछ के मतभेद हैं. मैं उनके मतभेदों और आपत्तियों का सम्मान करता हूं. इस पर जो बहस हो रही है, उसका केंद्र सरकार जवाब भी दे रही है और समाधान भी कर रही है. यह हमारा दायित्व भी है. गुज़ारिश है कि वे देशहित को प्राथमिकता देकर सोचें और जम्मू-कश्मीर और लद्दाख को नई दिशा देने में मदद करें. देश की भावनाओं का सम्मान करें.
संसद में किसने मतदान किया, किसने नहीं किया, किसने समर्थन किया, किसने नहीं दिया इससे आगे बढ़कर हमें जम्मू कश्मीर और लद्दाख के हित में मिलकर काम करना है. मैं हर देशवासी को यह भी कहना चाहता हूं कि जम्मू-कश्मीर और लद्दाख की चिंता हम सभी की चिंता है. 103 करोड़ नागरिकों की चिंता है. उनके सुख-दुख और तकलीफ़ से हम अलग नहीं है, अलग हो भी नहीं सकते.
अनुच्छेद 370 से मुक्ति एक सच्चाई है. सच्चाई ये भी है कि इस समय एहतियात के तौर पर कुछ क़दम उठाने की ज़रूरत थी. उनके कारण जो भी पेरशानी हो रही है, उसका मुक़ाबला भी वहीं के लोग कर रहे हैं और भी सहयोग देकर कर रहे हैं. कुछ मुठ्टी भर लोग जो वहां हालात बिगाड़ना चाहते हैं, उन्हें धैर्य से जवाब भी वहां के ही लोग दे रहे हैं.
हमें यह भी नहीं भूलना चाहिए कि आतंकवाद और अलगाववाद को बढ़ावा देने की पाकिस्तान की कोशिशों के विरोध में जम्मू-कश्मीर के लोग ड़टकर खड़े है. भारत के संविधान में विश्वास रखने वाले भाई-बहन अच्छा जीवन जीने के अधिकारी हैं. उनके सपनों को साकार करने के लिए उन्हें मौक़ा मिले, यह उनका हक़ है. हमें उन सबपर गर्व है.
मैं जम्मू-कश्मीर के साथियों को भरोसा देता हूं कि धीरे-धीरे हालात सामान्य हो जाएंगे और उनकी परेशानी भी कम होती चली जाएगी. ईद का मुबारक़ त्योहार भी आने वाला है. इसलिए मेरी ओर से आप सभी को बहुत बहुत शुभकामनाएं. सरकार इस बात का ध्यान रख रही है कि जम्मू-कश्मीर में ईद मनाने में लोगों को कोई परेशानी न हो. हमारे जो साथी जम्मू-कश्मीर से बाहर रहते हैं और अपने घर जाना चाहते हैं, उनको भी सरकार हर संभव मद कर रही है. इस मौके पर मैं जम्मू-कश्मीर के लोगों की सुरक्षा में तैनात अपने सुरक्षा बलों का भी आभार करता हूं. प्रशासन के जुड़े लोग, कर्मचारी और जम्मू-कश्मीर पुलिस जिस तरह से स्थिति संभाल रहे हैं, वह प्रशंसनीय है. आपके इस परिश्रम ने मेरा यह विश्वास और बढ़ाया है- बदलाव हो सकता है, लोगों का भला हो सकता है.
जम्मू-कश्मीर हमारे देश का मुकुट है, यह हम बचपन से सुनते आए हैं, गर्व करते हैं इस पर. इसकी रक्षा के लिए जम्मू-कश्मीर के अंसख्य बेटे-बेटियों ने बलिदान दिया है. पुंछ ज़िले के मौलवी गुलामदीन, जिन्होंने 65 की लड़ाई में घुसपैठियों के बारे में भारतीय सेना को बताया था. उन्हें अशोक चक्र से सम्मानित किया गया था. कर्नल सोनम वांगुचक ने कागरिल में घुसपैठियों को धूल चटा दी थी. उन्हें महावीर चक्र मिला था. राजौरी की रुखसाना कौसर ने एक बड़े आतंकी को मार गिराया था, उन्हें भी कीर्ति चक्र से सम्मानित किया गया था.
पुंछ के शहीद औरंगज़ेब, जिनकी आतंकियों ने पिछले साल हत्या कर दी थी, उनके दोनों भाई सेना में भर्ती होकर देश की सेवा कर रहे हैं. ऐसे वीर बेटे-बेटियों की लिस्ट बहुत लंबी है. आतंकियों से लड़ते हुए जम्मू-कश्मीर पुलिस के अनेक जवान और अफ़सर भी शहीद हुए हैं. निर्दोष नागरिक भी मारे गए हैं. देश के अन्य हिस्सों से भी हज़ारों को हमने खोया है. इन सभी का सपना है- शांत, सुरक्षित और समृद्ध जम्मू-कश्मीर बनाने का. उनके सपने को हमें मिलकर पूरा करना है.
यह फ़ैसला जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के साथ पूरे भारत की आर्थिक प्रगति में सहयोग करेगा. दुनिया के इस भाग में शांति आएगी तो विश्व शांति के प्रयासों को भी मज़बूती मिलेगी. मैं जम्मू-कश्मीर के अपने भाई-बहनों, लद्दाख के भाई-बहनों से आह्वान करता हूं- आइए, हम सब मिलकर दुनिया को दिखा दें कि क्षेत्र के लोगों का सामर्थ्य कितना ज़्यादा है, यहां के लोगों का हौसला, यहां के लोगों का जज़्बा कितना ज़्यादा है. हम नए भारत के साथ नए जम्मू-कश्मीर और नए लद्दाख का भी निर्माण करेंगे. बहुत-बहुत धन्यवाद.”