राजनीति : भाजपा ने आम चुनाव के कुल 184 उम्मीदवारों की सूची घोषित कर दी है. घोषित की गई सूची में गुजरात कि हाई प्रोफइल सीट गांधीनगर भी शामिल है. ये वो सीट है जहा से लालकृष्ण आडवाणी 6 बार जीतकर संसद पहुंच चुके है, मगर इस बार पार्टी हाईकमान ने उन्हें टिकट ही नहीं दिया. इस बार भाजपा ने गांधीनगर से पार्टी अध्यक्ष अमित शाह को टिकट दिया है.
भाजपा राजनीति के ‘पितामह’ माने जाने वाले लालकृष्ण आडवाणी का टिकट कटने को लेकर न केवल भारतीय जनता पार्टी के भीतर हलचल है बल्कि सोशल मीडिया पर भी लोगों की प्रतिक्रियाएं देखने को मिल रही है. सोशल मीडिया पर सक्रिय लोग केवल इन सवालों के जवाब चाह रहे हैं कि आख़िर आडवाणी का टिकट क्यों कटा और अमित शाह को गंधीनगर ही से क्यों टिकट मिला?
सूत्रों के अनुसार भाजपा की गुजरात इकाई ने मांग की थी कि या तो नरेन्द्र मोदी को या शाह को इस बार राज्य से संसदीय चुनाव में उतारा जाए. प्रदेश भाजपा नेताओं ने यह भी मांग की थी कि अमित शाह गांधीनगर से चुनाव लड़ें. पार्टी ने कार्यकर्ताओं और नेताओं की राय जानने के लिए गांधीनगर में पर्यवेक्षकों को भेजा था और इनमें से अधिकतर ने अमित शाह का पक्ष लिया, जबकि बीजेपी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी जो कि छह बार गांधीनगर सीट पर जीत दर्ज कर चुके हैं उनके पक्ष में बहुत ही कम लोग थे.
आपको बताते चले कि गांधीनगर संसदीय सीट के अंदर नारणपुरा से अमित शाह विधायक रहे चुके हैं. गुजरात भाजपा का मानना था कि अमित शाह के लड़ने से गुजरात में ‘मिशन 26’ पूरा करने में मदद मिल सकती है. जबकि पार्टी की एक बैठक में कहा गया था कि मार्गदर्शक मंडल के सदस्य 91 वर्षीय आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी के लड़ने का फ़ैसला उन पर छोड़ दिया गया है.
हालांकि सूत्रों के मुताबिक़ आडवाणी से पार्टी ने अभीतक कोई संपर्क नहीं किया है. एक बड़ा तबका इसे आडवाणी जी के अपमान के रूप में भी देख रहा है. वही दूसरी ओर आडवाणी लोभी के सभी नेताओं के टिकट कटते देखा जा सकता है. जिस नेता ने आडवाणी लोभी को छोड़ शाह एंड कम्पनी में शामिल हो गया वो बच गया और जिसने देरी की उसे दरकिनार कर दिया गया.