रोशन

मधुबनी: लोकसभा का चुनावी विगुल अनौपचारिक तौर पर बज चूका है। अपने अपने पसंदीदा सीटों के लिए प्रत्याशियों ने सियासी कसरतें शुरू कर दी है। इन सियासी कसरतों में कितनों की हसरतें परवान चढ़ेगी तो कितनों को निराशा से ही आशा की गाठ बांधनी होगी। इन सियासी कसरतों के बीच मधुबनी लोकसभा का सियासत अभी से ही गरम हो चूका है। यहां से संभावित उम्मिदवार में बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जगरनाथ मिश्रा के पुत्र नीतीश मिश्रा भाजपा के टिकट पर चुनाव में उतरने को उत्सुक है। वही महागठबंधन ने क्षेत्र के सियासी समीकरण को देखते हुए एक बार पुनः अब्दुल बारी सिद्दीकी पर दाव लगा सकती है। पिछले लोकसभा चुनाव में सिद्दीकी दुसरे नम्वर पर रहे थे।

मधुबनी लोकसभा सीट ब्राम्हण मुस्लिम यादव बहुल क्षेत्र है। 1991 के बाद किसी भी बड़े राजनीतिक दल ने यहां से ब्राम्हण को टिकट नही दिया है। अपवाद सीपीआई को छोड़ दे तो।

पिछले लोकसभा चुनाव में गुलाम गौस जनता दल( यु) के आ जाने से मुकाबला त्रिकोनात्मक हो गया था। पर इस बार का मुकाबला महागठबंधन और राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के बीच होने की पुरी संभावना है।

अगर भाजपा नीतीश मिश्रा पर दाव लगाती है तो सुप्त पर चुंके सवर्ण मतदाताओं में एक बार पुनः नयी उर्जा जाग्रति होगी और हो सकता है, ब्राम्हण यादव मुस्लिम बहुल इस लोकसभा में जबरदस्त मतदान प्रतिशत देखने को मिले। वही दुसरी और राजद के अब्दुल बारी सिद्दीकी भी राजनीति के मजे हुए खिलाड़ी है। और इस क्षेत्र के आम जनता तक उनकी भी पहुच सुलभ है.

वैसे नीतीश मिश्रा का इस क्षेत्र में उनके पीताजी के नाम पर भी हर एक वर्ग में सहानभूति का वोट सुरक्षित है। अब वह इस वोट को अपने पक्ष में कैसे करेगे यह समय ही बताएगा…..