कर्नाटक: ‘टीपू जयंती’ पर कर्नाटक में सियासी सरगर्मी गर्म है. वही जदएस-कांग्रेस के गठबंधन वाली सरकार का नेतृत्व करने वाले मुख्यमंत्री एच डी कुमारस्वामी ने पिछले सप्ताह कहा था कि पिछली कांग्रेस सरकार की नीति को बरकरार रखते हुए 10 नवम्बर को ‘टीपू जयंती’ मनाई जाएगी. उसके बाद भाजपा ने पूरे राज्य में विरोध प्रदर्शन कर करना शुरू कर दिया. इस भारी विरोध-प्रदर्शन के बीच आम जनजीवन प्रभावित हुआ है. प्रदर्शन को देखते हुए सड़कों पर गाड़ियां नहीं चल रही हैं. लोग जरूरी काम होने पर ही घर से बाहर निकल रहे हैं, ऐसे में कई जगहों पर सड़कों पर सन्नाटा भी पसरा है. कोडागू और विराजपत सहित कई इलाके प्रभावित हैं.
कोडागु की डिप्टी कमिश्नर पी आई श्रीविद्या ने कहा की हमने सुरक्षा के पुख्ता इंतेजाम कर रखे हैं. अगर कोई कानून और व्यवस्था का उल्लंघन करता है तो उसपर पुलिस सख्त कार्रवाई करेगी.
वहीं प्रदर्शन कर रहे विभिन्न समूहों को पुलिस ने हिरासत में ले लिया है. तनाव को देखते हुए कोडागु, हुबली और धारवाड़ में धारा 144 लागू कर दी गई है.
कोडागु में 2016 और 2017 में टीपू जयंती के दौरान हिंसा की घटनाएं हुई थीं. वहीं दूसरी तरफ कर्नाटक सरकार ने घोषणा कर दी है कि वह बीजेपी के विरोध के बावजूद इस वर्ष भी 18वीं सदी के मैसूर के शासक टीपू सुल्तान की जयंती अपने तय कार्यक्रम के मुताबिक ही मनाएगी. बीजेपी ने मैसूर के शासक को अत्याचारी करार दिया है. दरअसल टीपू सुल्तान 18वीं सदी में मैसूर साम्राज्य के शासक थे. इतिहासों में अंग्रेजो से लड़े उनके युद्ध स्वर्ण शब्दों में लिखी हुई है.