सबलोक कुमार सिंह

जहाँ एक ओर प्रधानमंत्री मोदी झारखण्ड से ‘आयुष्मान भारत ‘ बीमा योजना को दुनिया की सबसे बड़ी बीमा योजना गिना रहे है वही दूसरी ओर जनरल लांसेट में छपी रिपोर्ट बताती है की भारत शिक्षा और स्वास्थय के खर्च में अपने पड़ोसी देश नेपाल से भी पीछे है.

जैसा विगत है की एक सफल और खुशहाल देश में शिक्षा ओर स्वास्थय को प्रमुख रूप से आक़ा या माना जाता है.लेकिन आज भी हमे अपने सरकार द्वारा इसपर खर्च में नगण्यता मालूम होती है.

‘इंस्टिट्यूट ऑफ़ हेल्थ मैट्रिक्स एवं इवलूशन ‘ के सर्वे में भारत शिक्षा ओर स्वास्थय के खर्च के मामले में किये गए १९५ देशों में १५८ नंबर पर आया है. बात अगर १९९० की जाये तो उस समय १६२ पर था. जनरल लासेंट के सर्वे में फ़िनलैंड ,आइसलैंड ,डेनमार्क ,नीदरलैंड, ताइवान को पहले से पाँचवे जगह पर दर्शाया गया है .यह सर्वे कही न कही भयावह भी है ओर सरकार की झूठी दावों की पोल भी खोलता है.

मसलन जहाँ सरकार शिक्षा और स्वास्थय के अपने बजट में अरबों रूपये खर्च होने कि बात बताती है, वह वाकई निंदनीय ओर सोचनीय है. हा इस मामले में हम पाकिस्तान और बांग्लादेश के समतुल्य जरूर है.

क्या आज की राजनीती में जनता इतनी बुजदिल है की उससे जो बताया जाये वो मान लेते है.क्योकि प्रजातंत्र में जनता मालिक होती है, लेकिन अब उलट है. अमित साह द्वारा भाजपा का ५० वर्षो तक सत्ता में बतलाना इसका सबसे बड़ा उदहारण है.सरकार के हासिये पर निसंदेह एक ने एक तबका रहता है उसी का उदहारण है ये स्वास्थय और शिक्षा का उपर्युक्त सर्वे !!!

जागिये, उठिये, प्रश्न कीजिये, आवाज बुलंद कीजिये, डरिये मत, बुजदिल भक्त मत बनिए क्योंकि अगर ‘मारने वाला है भगवान, तो बचाने वाला भी भगवान ही है’