हिन्दू धर्म में शनिदेव को सभी जानते है , शनिदेव एक अच्छे न्यायाधीश के रूप में जाना जाता है जो मनुष्य के अच्छे और बुरे कर्मो का फल उसकी क्रम में देते है| इनके डर से इनके भक्त कभी बुरा कर्म नही कर सकते | ज्यादातर लोगो की मानसिकता में शनिदेव एक खलनायककी भूमिका में है , पर ज्ञानी व्यक्ति इन्हे अपने आराध्य देव केरूप में मानते है | उनके लिए शनि शत्रु नही बल्कि उनका मित्र है | जो व्यक्ति अन्याय पाप और अधर्म करते है शनि उनको अच्छे से प्रताड़ित करता है और इस तरह प्रकृति में संतुलन बनाये रखता है| यह एकमात्र ऐसा ग्रह है जो व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति भी करा सकता है |शनिदेव के सरल परिचय :शनिदेव के पिताभगवान सूर्य देवताऔर इनकी माता छाया है | इनके बड़े भाईयमराजऔर इनकी पत्नी का नाम नीलदेवी है | यह शनिमंडल में आवास करते है और इनकी सवारी है गिद्ध |शनि देव का जन्म और अपने पिता सूर्य से शत्रुता के पीछे की कथा :धर्मग्रंथो के अनुसार सूर्य की दूसरी पत्नी छाया गर्भवती हुई , उनके गर्भ में शनिदेव थे | छायाभगवान शंकरकी बहूत ही बड़ी भक्त थी| उनकी भक्ति और आराधना में में वो अक्सर भूल जाती थी की उनके गर्भ में कोई संतान है | इसी भक्ति भावना से वो ना तो खुद का ना ही खुदके बच्चे का ध्यान रख पाती थी | इस दशा में अजन्मे बालक का सही भरण पोषण नही हो पा रहा था |सही समय आने पर शनिदेव का जन्म हुआऔर अपोषण की वजह से उनका रंग काला (श्याम ) हो गया | ना तो सूर्य देव काले थे ना ही उनकी पत्नी काली थी |जब सूर्य देव ने अपने पुत्र को देखा तो उसके रंग को श्याम वर्णी देख कर उन्होंने अपने पत्नी पर आरोप लगा दिया की यह पुत्र उनका तोकभी हो ही नहीं सकता | छाया के लाख समझाने पर भीसूर्य देवताउसकी कोई बात नही समझाना चाहते थे |इस तरह खुद की और खुद की माँ का अपमान देख कर शनिदेव अपने पिता से शत्रु भाव रखते है |शनिदेव ने फिरभगवान शिवकी घोर तपस्या करके अति शक्तिशाली शक्तिया अर्जित की और उनका स्थान नव ग्रहों में सबसे बड़ा और उनका डरमनुष्यों के साथ देवताओ को भी भयभीत करने लगा |
नोट~ शनि देव उस व्यक्ति से सदा खुश रहते है जो हर छोटे बड़े माता पिता व गरीव लोगो का और कुरूप लोगो का भी सम्मान करते है जो व्यक्ति किसी उच्च वर्ण के व्यक्ति का अपमान करता है उस व्यक्ति को शनि के प्रकोप से कोई नही बचा सकता ।
अतुल त्रिपाठी …..