फिल्म पदमावती पर अभी विवाद थमा नहीं था, कि भारतीय सिनेमा की एक और फिल्म ‘द गेम ऑफ अयोध्या’ विवादों के घेरे में आ गई है। फिल्म निर्माता सुनील सिंह की फिल्म ‘द गेम ऑफ अयोध्या’ पर हिंदु समाज के लोगों की भावनाओं को ठेस पहुंचाने के आरोप लगाए जा रहै हैं।
दरअसल ये फिल्म 1992 में हुए बाबरी विघ्वंस पर आधारित है। इस पर संत समाज का आरोप है कि फिल्म ‘द गेम ऑफ अयोध्या’ में तथ्यों के साथ छेड़-छाड़ कर हिंदुत्व की भावनाओं को आहत किया गया है, जो कि बेहद निंदनीय और शर्मनांक है। उन्होंने कहा कि इतिहास और तथ्यों को तोड़मरोड़ कर दिखाना फिल्म निर्माताओं की ओछी मानसिकता को दर्शाता है। सुनील सिंह की ये फिल्म 8 दिसंबर को रिलीज होने जा रही है। हालाकि फिल्मकार सुनील सिंह का कहना है कि उन्होंने किसी भी प्रकार के तथ्यों से छेड़-छाड़ नहीं की है बल्कि फिल्म मे सच को दिखाया है।
फिल्म को लेकर लोगों का गुस्सा चरम पर दिखाई दे रहा है। ABVP कार्यकर्ता अमित गोस्वामी ने घोषणा की है जो सुनील सिंह की बाह काट कर लाएगा उसे 1 लाख रुपए का इनाम दिया जाएगा। पदमावती फिल्म निर्माता संजय लीला भंसाली के सर काटने पर भी 1 करोडं रुपए का ऐलान किया गया था। लोग इतिहास के नाम पर हिंसक होते जा रहे है और लगातार किसी की भी जान की कीमत लगाई जा रही है। अगर इसे लोकतत्र की त्रासदी के रुप में देखा जाए तो ये गलत नहीं होगा। इन चंद फिल्म कारों ने भारतीय सिनेमा को हाशिये पर लाकर खड़ा कर दिया है।
फिल्मकार भी सुर्खियां बटोरने के चक्कर में भारतीय सिनेमा को विवाद के साये में धकेलते जा रहे हैं। जिस पर सैंसर बोर्ड को तत्काल रुप से संज्ञान लेना चाहिए और फिल्मकारों को इस तरह के विवादों से बचने की नसीहत देनी चाहिए।
…….अनुज अवस्थी