स्त्री डराती भी है और हंसाती भी है

स्त्री : 3/5

राजकुमार राव दिन ब दिन अपने अभिनय के लिए दर्शकों के दिल में जगह बनाते जा रहे हैं। आज उनकी फिल्म स्त्री रिलीज हुई है। राजकुमार के अपोजिट इस फिल्म में श्रद्धा कपूर हैं। कॉमेडी-हॉरर जॉनर वाली इस मूवी में अपारशक्ति खुराना और पकंज त्रिपाठी भी हैं।

कहानी भूतिया है, पर हंसाती भी है। राजकुमार राव (विक्की) एक टेलर की भूमिका में हैं, जिनको स्त्री से प्यार हो जाता है। उस प्यार को पाने के लिए उसका दोस्त बिटू मदद करता है, पर धीरे-धीरे उसे गांव में स्त्री की प्रचलित भूतिया कहानी के अंश अपनी प्रेमिका में दिखने लगता है। दोनों दोस्तों को स्त्री पर शक होने लगता है, इसी शक को दूर करने के लिए दोनों रूद्रा (पकंज त्रिपाठी) की शरण लेते हैं। रूद्रा उन्हें रूत्री के बारे में अजीब-अजीब कहानियां सुनाता है और यहीं से कॉमेडी वाली हॉरर शुरू होती है। रूद्रा के रूप में पकंज ने गवई अंदाज का सहारा लेकर किरदार को रोचक बना दिया है। अपराशक्ति ने एक रंगीले दोस्त के साथ डर को भलिभांति जीया है। परदे पर उनका एक्सप्रेशन कमाल का है। राजकुमार राव की कॉमिक टाइमिंग बेजोड़ हैं। पकंज और उनका रोल दर्शकों को डराता और हंसाता भी है। श्रद्धा ने पहली बार भूत का किरदार निभाया है, डायरेक्टर ने उन्हें भरपूर स्पेस भी दिया है और वो इस पर खड़ी उतरी हैं। वहीं बात अगर डायरेक्शन की करें तो फिल्म हमें बांधे रखती है। निर्देशक ने फिल्म आइटम सांग का तड़का डाला है, जो गुदगुदाता है।

कुल मिलाकर फिल्म अच्छी बनी है, समय थोड़ा सा ज्यादा लेती है। हॉरर फिल्मों की टाइमिंग अगर ज्यादा हो तो दर्शक बोर हो जाते हैं। फिल्म के अंत में भारतीय हिंदी सिनेमा में प्रचलित घटनाओं का जिस प्रकार इस्तेमाल किया गया है, भारतीय दर्शकों ने उसे कई फिल्मों देखा है।

हालांकि सभी कलाकारों ने अपने किरदार बारीकी से निभाये गये हैं, फिल्म आपको बोर नहीं करती, आपको एंटरटेन करती है। फिल्म पैसा वसूल है।

देओलस ने एक्शन, कामेडी से किया एंटरटेन, धर्मेंंद्र इज बैक

यमला पगला दीवाना फिर से : 2.5/5

आज की दूसरी रिलीज फिल्म यमला पगला दीवाना फिर से है। देओल परिवार की यह तीसरी सीरीज है। पहली फिल्म ने सक्सेस चखा था, दूसरी फ्लॉप हो गई थी। फिर भी इस जोड़ी ने दर्शकों के लिए तीसरी सीरीज बनाई है। अगल-अलग किरदारों को गढ़ कर बनाई गई इस फिल्म में हमें पुराने सनी, चुटकीले धर्मेंद्र और नटखट बॉबी दिखते हैं। फिल्म में एक्शन, ड्रामा, कॉमेडी है, पर इमोशन नहीं है। इसलिए फिल्म बांध नहीं पाती है। हां अगर कुछ कमाल का है तो बाप, बेटों की जोड़ी है।

कहानी इस बार सनी देओल (वैध पूरन सिंह) से शुरू होती है जो अपने भाई बॉबी देओल (काला) के साथ रहता है, और इन दोनों का पड़ोसी धर्मेंद्र (जयवंत परमार) है। वह वकील भी है। वैध पूरन सिंह के पास अपने पारिवारिक काम काज को आगे बढ़ाने के लिए एक वज्र कवच नामक दवा का फार्मुला है। जिस पर शहर के बिजनेसमेन माफतिया की नजर बैठी है। एक दिन वो वैध पर अपना फार्मुला चोरी करने का केस करता है। वकील बने धर्मेंद्र वैध की मदद करते हैं, काला वैध का भाई है, इसलिए साथ निभाता है और फिल्म इसी गुथमगुथी में पंजाब से गुजरात पहुंच जाती है। उसके बाद कहानी में ट्वीस्ट, भागम-भाग, दौड़ा-दौड़ी, एक्शन, सिचुएशन और देओल परिवार का प्यार आ जाता है। इस भीड़ में कृति खरबंदा (चिकू) अपनी अदाओं से काला और आपको एंटरटेन करती है।

फिल्म में सबकी मेहनत साफ दिखई पड़ती है। सनी देओल अपने चिरपरिचित अंदाज में नजर आए हैं, धर्मेंद्र ढलती उम्र में भी जवान दिखाई दे रहे हैं। बॉबी इन दोनों के बीच शरीफ भाई का किरदार अपनी प्रेमिका के साथ रोमांस और एक्शन करके निभाते हैं। कहानी के स्तर पर फिल्म में कमी रह गई है, कहानी में और भी चीजें डाली जा सकती थी। निर्देशक ने सिर्फ उसके कॉमेडी और एक्शन पर ध्यान दिया है। फिल्म का म्यूजिक भी याद रखने लायक नहीं बन सका है।

फिल्म में आर्कषण का केंद्र सलमान खान भी हैं, उनके साथ युवा रेखा और दबंग गर्ल सोनाक्षी सिन्हा भी दिखाई पड़ती है। इन जोड़ियों गाना पहले ही हिट हो चुका है।