मंटो : 3.5/5

मंटो एक लेखक की बायोपिक ड्रामा है। यह इंडो-पाक के उर्दू अदीब सआदत हसन मंटो की जिंदगी की कहानी है। मंटो उर्दू अदब के बेहतरीन अफसाना निगार थे। उनकी कहानियां समाज का आईना थी, जिसमें समाज आज भी खुद की झलक पा सकता है। नंदिता दास ने उर्दू के उसी अजीम ओ शान फनकार को पर्दे पर गढ़ा है। मंटो एक्टर, डॉयरेक्टर, राइटर नंदिता दास की वो कृति  है जिसे नवाजुद्दीन सिद्दकी की अदायगी के लिए हमेशा याद की जायेगी। मंटो के समकालीन समाज में घुसकर उनकी जहेनी बातों को पर्दे पर फिल्माने में नंदिता ने कोई भूल नहीं की है। यह फिल्म कांस फिल्म महोत्सव 2018 में दिखाई जा चुकी है, जहां इसने सूर्खियां बटोरी थी।

फिल्म का लेखन और निर्देशन दोनों नंदिता दास ने किया है। नंदिता दास इससे पहले फिल्म फिराक का निर्देशन कर चुकी हैं। उन्होंने इस बार एक लेखक की कहानी दुनिया के सामने प्रस्तुत किया है। नंदिता दास ने मंटो की जिंदगी के चार साल, उनकी पांच कहानियों, उनके परिवार, दोस्तों और समकालीन समाज को सिनेमाई पर्दे पर उतारा है। देश में इसी चार वर्षों में विभाजन का दौर भी दिखाया गया है, जहां बंटवारे के बाद के हालातों को देखकर मंटो हिंदुस्तान छोड़ने का फैसला करते हैं।

सिनेमेटोग्राफर कार्तिक विजय ने अपने कैमरे से प्रोडक्शन डिजाइनर रीता घोष द्वारा करीने से सजाए गए बंबई को खूबसूरती से दिखाया है। कॉस्टयूम डिजाइनर शीतल शर्मा द्वारा इस्तेमाल पहनावे से हर किरदार जीवंत नजर आते हैं।

फिल्म का सबसे महत्वपूर्ण किरदार मंटो जिसे नवाजुद्दीन सिद्दकी ने पर्दे पर ऐसे जिया है कि वो मंटो ही नजर आते हैं, एक ऐसे लेखक को जीना जो समाज के साथ होकर भी उसके खिलाफ आवाज उठाता था, अपनी कहानियों की बनाई दुनिया में वो समाज को गढ़ रहा था। साथ ही निजी जिंदगी की कशमकश में उलझा, अपनी कहानियों की वजह से कानूनी पचड़े के साथ पारिवारिक स्थितियों से दो चार होता और शराब की लत में डूबे मंटो को नवाजुद्दीन सिद्दकी ने अपनी बेहतरीन अदायगी से जीवंत कर दिया है। पर्दे पर एक वक्त लगता है कि नवाज ही मंटो हैं, जो अपनी कहानी कह रहे हैं।

फिल्म की खासियत बहुतेरे कलाकारों का छोटे-छोटे किरदारों के रूप में मंटो की कहानी को बढ़ाना है। ऋषि कपूर, गुरदास मान, परेश रावल, चंदन सानियाल, नीरज कवि, रणवीर शौरी, दिव्या दत्ता, तिलोत्मा सोम, पूरब कोहली, राजश्री देशपांडे, ईला अरूण, दानिश हुसैन, इनामुल हक जैसे कलाकार फिल्म को ऐतिहासिक कृति बनाने में योगदान देते हैं। पहली बार जावेद अख्तर ने अभिनय किया है।