कुछ सालो से एक नया शब्द चलन में आया मॉब लिंचिंग,मलतब भीड़ दोवारा पीट-पीट कर मार देने की घटना.लोकसभा में अपने ओर से एक बयान में मॉब लिंचिंग की बात कही थी,उन्होंने कहा की मॉब लिंचिंग में लोग मारे गए है,हत्या हुई और कई लोग घायल भी हुए है अबतक,जो किसी भी सरकार के लिए सही नहीं है.कुछ समय पहले उच्चतम न्यायालय ने भी मॉब लिंचिंग के खिलाफ कानून बनाने की सलाह दी थी.विपक्ष ने जब इस मुद्दे पर सवाल किया तब गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने आश्वासन दिया की अगर जरुरत हुई तो ऐसी घटना को रोकने के लिए कानून भी बनाये जायेंगे.शुन्यकाल के दौरान ऊठे इस मुद्दे पर बताया की इस तरह के मामलों पर रिपोर्ट देने के लिए गृह मंत्री की अध्यक्षता में मंत्रिसमूह गठित किया गया है.गृह सचिव की अगुवाई में एक समिति भी गठित की गयी है,जो चार सप्ताह में रिपोर्ट पेश करेगी.साथ ही गृह सचिव की अध्यक्षता वाली समिति की रिपोर्ट पर मेरी अध्यक्षता वाली समिति कठोर करवाई करने के सम्बंद में विचार भी करेगी.
कॉंग्रेस के मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा की ऐसी घटनाओ पर समिति तो विचार करे ही लेकिन इसकी जांच उच्चतम न्यायालय के वर्तमान न्यायाधीश के नेतृत्व में करना चाहिए.तृणमूल कांग्रेस की शांता क्षेत्री ने भी कहा की इस सरकार के सत्ता में आने के बाद ऐसी घटना बढ़ी है.अबतक तक़रीबन ८८ लोग अपनी जान गवा चुके है और ये सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा.
मॉब लिंचिंग पर शारद यादव ने भी भाजपा पर तीखा प्रहार किया.उन्होंने कहा की ऐसी घटनाओ में अक्सर मुसलमान इसका शिकार होते है.भगवा दल से जुड़े संगठन हिन्दुओ और मुसलमनो के बाटने के एजेंडो पर काम करते है.उन्होंने कहा की सरकार के आश्वासन के बावजूद भाजपा शासित राज्यों में ऐसी घटनाये बढ़ी है.एक वक़्त था जब लिचिंग शब्द से लोग वाक़िफ़ भी नहीं थे अब घर-घर बोला जाने लगा है.
बेशक मॉब लिंचिंग देश को शर्म सार तो कर ही रहा है साथ ही साथ इंसानियत को भी.इस घटना के जीवित अस्मरण को आप देखे तो आप की रहे काँप जायेगी.एक इंसान एक जानवर को भी इतनी बुरी तरह से नहीं मारता जैसे मॉब लिंचिंग में लोग मारे गए है.देश में बढ़ती इन घटनाओ रोकने की जरुरत है,कानून से जहा एक ओर इस पर अंकुश लगेगा वही दूसरी और हमें और आप को देश के कानून पर विश्वास भी करना पड़ेगा. तभी ऐसी घटनाओ को रोका जा सकता है.