women home insult the manu smiti good news भारतीय संस्कृति में नारी के स्थान की विवेचना।
जिस घर में नारी का सम्मान किया जाता है उस घर को स्वर्ग के समान माना जाता है वहां देवताओं का निवास होता है भारतीय संस्कृति में नारी को बहुत उच्च स्थान प्राप्त है जबकि अन्य धर्मों में नारी को भोग वासना के लिए ही समझा जाता है वेदों में प्रथम शिक्षा कहां से शुरू होती है मातृ देवो भवः से प्रारंभ की जाती है अर्थात माता देवताओं के समान होती हैं त्वमेव माता च पिता त्वमेव अर्थात माता का स्थान पिता से भी ऊंचा माना गया है मातृशक्ति का स्मरण भगवान के नाम से पहले किया जाता है जैसे राधाकृष्ण सीताराम राधे श्याम गौरी शंकर गिरजापति इत्यादि और हमारे धर्म ग्रंथों में से एक मनुस्मृति मैं बताया है तीसरे अध्याय का 56 वां श्लोक देखे।
यत्र नार्यस्तु पूज्यंते रमंते तत्र देवता:।
यत्रैतास्तु न पूज्यंते सर्वास्तत्राफला: क्रिया:।।
इस श्लोक का अर्थ कहता है कि जिस कुल में स्त्रियों को सम्मान मिलता है उस कुल से देवता सदा प्रसन्न रहते हैं और जिस कुल में स्त्रियों का अपमान होता है उस कुल में सारे यज्ञ आदि करने निष्फल हैं।
और मनुस्मृति के तीसरे अध्याय 57 श्लोक मैं लिखा है।
शोचंति जामयो यत्र विनश्यत्याशु तत् कुलम्।
अर्थ =जिस कुल में बहू बेटियां दुख भोगती है , उस कुल का विनाश निश्चित है ।
लेखक
पं.अतुल त्रिपाठी
Radhe radhe