मनुष्य के हर एक पाप का कारण लोभ ही है देखिए कैसे हैं।
श्लोक=
लोभात् क्रोधः प्रभवति, लोभात् कामः प्रजायते ।
लोभान् मोहश्च नाशश्च ,
लोभः पापश्च कारणम्।।
अर्थ = व्यक्ति जब लोभ करता है तब उसे क्रोध आता है तब उससे पाप होता है जब किसी मोह के चक्कर में पड़ता है तब पाप होता है जब किसी काम के चक्कर में पड़ता है तब उससे पाप होता है तो हर पाप का कारण लोभ ही होता है आप कभी भी सोच कर देखना किसी के बारे में भी सोच कर देखना अगर वह व्यक्ति पाप कर रहा है तो उसका कारण लोभ है लोभ से ही बो व्यक्ति पाप कर रहा है किसी को किसी दूसरे की दौलत का लोभ है पाप करता है दूसरों का पैसा हथियाने के लिए पैसे का लोभ है इसीलिए वह पाप करता है दूसरे की जमीन हथियाने के लिए तब वह पाप करता है यानी कहने का अर्थ यह है लोभ ही व्यक्ति के पाप का कारण बनता है अगर आप लोभ छोड़ देंगे तो मुझे नहीं लगता है कि किसी व्यक्ति को कोई पाप ग्रसित करेगा ।
राधे राधे
लेखक
अतुल त्रिपाठी