मॉस्को. रूस में राष्ट्रपति पद के लिए रविवार को वोटिंग जारी है। चुनाव में मौजूदा राष्ट्रपति पुतिन के अलावा 7 और उम्मीदवार मैदान में हैं। हालांकि प्री-पोल्स के मुताबिक, पुतिन की जीत पक्की है। सर्वे में पुतिन को 70% वोट्स के साथ सत्ता में वापसी करते दिखाया गया है। अगर पुतिन ये चुनाव जीतते हैं तो राष्ट्रपति के तौर पर ये उनका चौथा कार्यकाल होगा। जोसेफ स्टालिन के बाद पुतिन रूस पर दूसरे सबसे लंबे तक शासन करने वाले नेता बन चुके हैं। चुनाव में युवाओं पर खास ध्यान दिया जा रहा है। एक रूसी अखबार की रिपोर्ट के मुताबिक, कॉलेजों ने मतदान में हिस्सा नहीं लेने वाले युवाओं को सस्पेंड करने तक की धमकी दी है। वहीं पोलिंग बूथ से सेल्फी खींचकर भेजने वाले लोगों को इनाम देने की बात भी कही गई है ।
सस्पेंड होंगे वोटिंग में हिस्सा ना लेने वाले युवा
– रूस में इस बार युवाओं के वोटों को अहमियत दी जा रही है। मतदान केन्द्र पर सबसे बेहतरीन सेल्फी खींचने वालों को इनाम दिए जाने तक का वादा किया गया है।
– वहीं स्टूडेंट्स को चेतावनी दी गई है कि अगर वो वोटिंग में हिस्सा नहीं लेते हैं तो उन्हें परीक्षाओं में परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। यहां तक की उन्हें कॉलेज से निकाला भी जा सकता है।
– रूस के एक अखबार नोवाया गजेटा के मुताबिक, राज्य सरकार और स्कूल के हेड्स अपने कर्मचारियों पर वोट देने का दबाव बना रहे हैं। यहां तक की उन्हें वोटिंग करने वाले अपने दोस्तों और रिश्तेदारों के नाम भी देने के लिए कहा गया है।
पुतिन के सम्मान में हुई है 107% वोटिंग
– सुनने में ये चौंकाने वाला है, लेकिन 2012 में रूस के चेचेन्या में 107% वोटिंग हुई। चुनावी एक्सपर्ट्स के मुताबिक, चेचेन्या और डेगेस्तान जैसे राज्यों में चुनाव से पहले पुतिन के विरोधियों को गिरफ्तार कर लिया जाता है। यानी आमतौर पर सिर्फ सपोर्टर्स के पास ही वोटिंग करने का मौका रहता है।
पुतिन के लिए बदल चुका है संविधान
– पुतिन 2000 से 2008 तक लगातार दो बार रूस राष्ट्रपति चुने गए। हालांकि, रूस के संविधान के मुताबिक, कोई भी शख्स दो बार से ज्यादा राष्ट्रपति नहीं बन सकता है। इसलिए 2008 में पुतिन प्रधानमंत्री पद के लिए खड़े हुए और जीत हासिल की।
– 2012 में पुतिन ने दोबारा राष्ट्रपति बनने में दिलचस्पी दिखाई और उनके लिए देश के संविधान में संशोधन भी कर दिया गया। बदलाव के मुताबिक, रूस में 2 बार राष्ट्रपति बनने की सीमा को खत्म किया गया। साथ ही उनके कार्यकाल को 4 साल से बढ़ाकर 6 साल कर दिया गया।
4 साल पहले आज ही के दिन किया था क्रीमिया पर कब्जा
– 2014 में आज ही के दिन पुतिन ने एक समझौते के तहत क्रीमिया को रूस का हिस्सा घोषित कर दिया था। क्रीमिया इससे पहले यूक्रेन का हिस्सा था, जिसे पुतिन ने हमला कर के छीन लिया था।
पुतिन कैसे बने राष्ट्रपति
1999:
– पुतिन 19 साल पहले अपने गुरु बोरिस येल्तसिन की जगह सत्ता में आए थे। तब वो कार्यकारी राष्ट्रपति बने थे।
– साल 2000 में पुतिन ने पहली बार राष्ट्रपति चुनाव लड़ा। तब उन्होंने 53% वोट हासिल कर चुनाव जीता था। उनके प्रतिद्वंद्वी जिगनोव को 29% वोट ही मिले थे।
पुतिन की अच्छाई:उन्हें राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी माना गया।
कमी:मीडिया पर कड़े प्रतिबंध लगाने के पक्षधर रहे हैं।
2004:
– पुतिन निर्दलीय लड़े। 71.2% वोटों से राष्ट्रपति बने थे। प्रतिद्वंद्वी निकोलॉय को 13.6% वोट मिले थे।
अच्छाई:कोई नहीं।
कमी:पुतिन ने चुनावी बहस में भाग नहीं लिया। मीडिया पर नियंत्रण चाहते थे।
2012:
पुतिन 63.3% वोट पाकर जीते थे। उनके मुकाबले कम्युनिस्ट ज्यूगनोव को 17.1% मत मिले थे।
अच्छाई:कोई नहीं।
कमी:पुतिन ने अपने प्रतिद्वंद्वियों का सफाया कर दिया। सत्ता के लिए पक्षपाती मीडिया कवरेज में कराया। प्रशासनिक शक्ति को खंडित कर दिया।
2018:
इस चुनाव में पुतिन पार्टी छोड़कर निर्दलीय उतरे हैं।
कमी:मुख्य विपक्षी उम्मीदवार को भ्रष्टाचार में फंसाकर चुनाव से दूर कर दिया। ऐसे ही कई अन्य उम्मीदवारों को भी बाहर किया। चुनावी बहस से दूर रहे। अब वे रूस के सबसे ताकतवर नेता बन गए हैं।
रूस के राष्ट्रपति चुनाव के लिए हिमाचल प्रदेश में बना मतदान केंद्र, वोटिंग हुई
शिमला भारत में रह रहे रूसी नागरिक अपने देश का राष्ट्रपति चुन सकें, इसके लिए हिमाचल प्रदेश में पोलिंग बूथ बनाया गया है। ये बूथ कुल्लू जिले के नग्गर में अंतरराष्ट्रीय रौरिक आर्ट गैलरी में कार्यरत रूस के नागरिकों के लिए बनाया है। यहां शुक्रवार को मतदान भी हो गया है। इससे पहले रूसी दूतावास मतदान प्रक्रिया दिल्ली में पूरी कराता था।