दिल्ली:    सपा और बसपा ने 23 साल पुरानी दुश्मनी को भुलाकर दोस्ती का हाथ मिलाया तो उपचुनाव में बीजेपी चारों खाने चित हो गई. उत्तर प्रदेश के गोरखपुर और फूलपुर लोकसभा सीट के उपचुनाव में बसपा के समर्थन से सपा ने बीजेपी को करारी मात दी. इतना ही नहीं बीजेपी और सीएम योगी के मजबूत दुर्ग गोरखपुर को भी इस दोस्ती ने ध्वस्त कर दिया. इससे बीजेपी के मिशन 2019 और पार्टी कैडर को सूबे में गहरा झटका लगा है. ऐसे में बीजेपी को 2019 लोकसभा चुनाव के लिए मौजूदा रणनीति में बदलाव करके दोबारा से दुरुस्त करना होगा।

 

उत्तर प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह ने कहा, हम इस (सपा-बसपा) गठबंधन का पर्दाफाश करेंगे. बसपा और सपा के शासन के तहत भ्रष्टाचार और अराजकता का वर्चस्व था. उपचुनाव से सबक लिया है. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अपील और अभियान की ताकत के साथ-साथ अमित शाह की चाणक्य नीति से 2019 फतह करें ।

उत्तर प्रदेश के ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा ने कहा कि पार्टी आक्रामक अभियान के माध्यम से लोगों को बताएगी कि सपा-बसपा गठंबधन सिर्फ स्वार्थी है और अपने फायदे के लिए है. इससे सूबे को कोई लाभ नहीं होगा. सपा-बसपा गठबंधन से पूछेंगे कि उनका नेता कौन है- मायावती, अखिलेश या मुलायम सिंह. उन्होंने कहा कि सूबे की जनता को इस बात के लिए जागरुक करेंगे कि लोकसभा चुनाव में सपा-बसपा को वोट देने से क्या फायदा होगा?

बीजेपी प्रवक्ता चंद्र मोहन ने कहा कि सूबे के लोग सपा-बसपा के 15 साल के पापों को अभी नहीं भूले हैं. 2019 के लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का चेहरा हो गया और मुख्यमंत्री योगी का काम हो गया. बीजेपी के वरिष्ठ रणनीतिकार ने स्वीकार किया कि सपा-बसपा 2019 चुनाव में बीजेपी को हराने के लिए बैकवर्ड और फॉरवर्ड कर रही है. इसीलिए बीजेपी अपनी रणनीति में दोबारा से बदलाव करने के लिए काम कर रही है ।

बता दें कि पिछले लोकसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी के चलते बीजेपी गठबंधन को सूबे की 80 लोकसभा सीटों में 73 सीटों पर जीत मिली थी, लेकिन उपचुनाव में दो सीटों पर हार के बाद अब 71 बची हैं. 2014 में विपक्षी दलों का सफाया हो गया था. बसपा का तो खाता भी नहीं खुल सका था और कांग्रेस सिर्फ रायबरेली और अमेठी ही जीत सकी थी. जबकि सपा ने पांच सीटें जीती थी, जो सभी मुलायम सिंह यादव परिवार की थी ।