किसी भी देश के भविष्य को देश का युवा ही तय करता है इस बात से गुरेज नहीं किया जा सकता। भारत वर्ष में युवाओं की संख्या तकरीबन 70 प्रतिशत है यानि की आने वाले समय में भारतीय लोकतंत्र की बागडोर युवाओं को ही संभालनी है। अब अगर ऐसे में देश के भविष्य यानि कि युवा ही हांसिये पर चले जाएं तो स्थित कितनी भयावह हो सकती है इसका अंदाजा लगाया जा सकता है। इन दिनों एसएससी (कर्मचारी चयन आयोग) की परीक्षा में हुए घोटाले को लेकर छात्रों में आक्रोश दिखाई दे रहा है। छात्रों का कहना कि परीक्षा शुरु होने से पहले ही पेपर को लीक कर दिया गया, और बड़े पैमाने पर धांधली की गई। इसके चलते पिछले कुछ दिनों से छात्र परीक्षा में हुई बड़े पैमाने पर हुई धांधली की सीबीआई जांच की मांग कर रहे हैं। लेकिन सरकार की और से उन्हें कोई ठोस और विश्वसनीय अश्वासन नहीं दिया जा रहा है।

हालांकि ग्रहमंत्री राजनाथ सिंह ने इस मामले की सुनवाई की जाच का भरोसा दिलाया है, लेकिन छात्रों को ये भरोसा भरोसे के लायक नहीं लग रहा है। उनकी मांग है कि उन्हें सरकार प्रमाण के तौर पर लिखित में दे उसके बाद ही इस धरना प्रदर्शन को विश्राम दिया जाएगा। आज इस युवा आंदोलन को काफी दिन बीत चुके हैं लेकिन सरकार की और से कोई भी सुध नहीं ली जा रही है, जिसकी वजह से युवाओं में गुस्से की ज्वलंत आग शोले बन कर धंधक रही है। विडबना ये है कि सरकार तो सरकार देश की मुख्यधारा की मीडिया इस पर कोई खासा ध्यान नहीं दे रही है। माडिया को कठघरे में लेते हुए आंदोलन कर रहे एक युवा ने कहा कि श्री देवी के मरने पर देश का मीडिया पागलों की तरह उसे एक हफ्ते तक प्राइम टाइम में चलाता है, और हमारे लिए भारतीय मीडिया को तो जैसे सांप सुंघ गया हो।

इतना ही नहीं बुंदेलखंड के छात्र ने तो यहां तक कह दिया कि इसकी निष्पक्ष जांच की जाए अगर इसमें धाधली नहीं निकली तो में अपना सर कलम करके प्रधानमंत्री मोदी के कदमों में रख दुंगा। बहराल, वैसे तो पीएम मोदी देश की किसी भी घटना को लेकर ट्वीट करने में जरा भी नहीं चूकते लेकिन इस मुद्दे मोदी जी ट्विटर भी जैसे कुंभकरण की नीद सो रहा है। सरकार मूकदर्शक बनी हुई है। दरअसल भाजपा की मोदी सरकार को पता है कि हम धार्मिक उन्माद (हिंदु-मुसलिम) करके फिर से सत्ता पर काबिज हो ही जाएंगे तो फिर क्यों युवाओं के मन की और हित की बात सुनी जाए। सरकार युवाओं को लेकर इतनी लापरवाह हो ही चुकी हो तो ऐसे में सवाल दो, कि क्या छात्रों के प्रति इस तरह के गैरजिम्मेदाराना रवैये से सराकर देश को विकास के पथ पर सरपट दौड़ा पाऐगी ? क्या देश के युवाओं को हांसिए पर रख कर न्यू इंडिया का सपना साकार हो पाऐगा। अगर इन सवालों का जवाब है नहीं, तो फिर सरकार को चेतना से बाहर आकर युवाओं की आवाज पर व्यापक स्तर पर विचार विमर्श करना होगा, नहीं तो वो दिन दूर नहीं जब देश के पिछड़ते पन का ठीकरा सरकार के माथे फोड़ा जाएगा।