जिन्होंने लूटा सरेआम मुल्क को अपने..

उन लफंदरों की तलाशी कोई नहीं लेता..

गरीब लहरों पर पहरे बिठाये जाते हैं..

समंदरों की तलाशी कोई नहीं लेता..

भारत में घोटालों का इतिहास बहुत पुराना है। एक के बाद एक घोटाले होते गए। कुछ को सजा मिली, कुछ साफ बरी हो गए, कुछ ने तो बहुत मौज उढ़ाई। ऐसा नहीं कि समंदरों पर अंगुलियां नहीं उठी। पुराना दौर था, न तो आज जैसी सिस्टम में पादर्शिता थी, और न ही ई बैंकिग थी। बस खातों का खेल था बहुत कुछ ऐसा होता रहा जिसकी जानकारी आम लोगों तक कभी नहीं पहुंची। इस बात से गुरेज नहीं किया जा सकता कि भारत स्कैमलेंड बन चुका है। जब भी कोई घोटाला सामने आता है जांच आयोग बिठा दिया जाता है। आज तक कितने जांच आयोग बैठे, उन पर कितना खर्च हुआ, कितनों को सजा मिली, कितनों को इंसाफ मिला अगर इस पर लिखा जाए तो एक महाग्रंथ की रचना की जा सकती है। हम हमेशा कल्पना लोक में जीते हैं, घोटाला होते ही सोचते हैं कि बस अब और किसी घोटाले के बारे में सुनने को नहीं मिलेगा। पर हमारी कल्पना बार-बार खंडित होती है। सिस्टम में बदलाव के चलते अब समंदरों की तलाशी ली जाने लगी है। अब फ्राड पकड़े जा रहे हैं। अब पंजाब नेशनल बैंक में एक बड़ा बैंकिग घोटाला सामने आया है। मुंबई की एक शाखा में 11 हजार 400 करोड़ से अधिक रुपए का फर्जा लेन-देन हुआ। घोटाला सामने आने के बाद बैंक के 10 अधिकारियों को निलंबित कर दिया गया है। यहां गौर करने वाली बात ये है कि घोटाला ऐसे दौर में उजागर हुआ जब भारत का बैंकिग सेक्टर संकट के दौर से गुजर रहा है। इस घोटाले में प्रख्यात हीरा कारोबारी नीरव मोदी और 4 बड़ी आभूषण कंपनिया जांच के घेरे में हैं। नीरव मोदी फोर्ब्स की भारतीय अमीरों की सूची में शामिल रहे हैं। नीरव मोदी द्वारा इसी माह की शुरुआत में फर्जी दस्तावेजों के आधार पर ही नीरव मोदी के पक्ष में एलओयू यानि लेर्टस आफ अंडरटेकिंग दिया गया था। मामले का खुलासा होते ही एफआईआर दर्ज की गई, लेकिन नीरम मोदी एक माह पहले ही देश छोड़कर जा चुका था। नीरव मोदी की रफ्तार को देखकर ऐसा लगता है कि वे देश की तमाम जांच ऐजेंसियों से एक कदम आगे हैं।

हमें याद रखना चाहिए कोई भी घोटाला तब होता है जब सिस्टम में व्यापक स्तर पर खामी हो। घोटाला करने वाले कर गए, शेयर बाजार में उथल-पुथल तो होनी ही थी, बैंक के शेयर गिर गए। वहीं सभी सरकारी बैंको को 15 हजार करोड़ का नुकसान हुआ। निश्चित रुप से इसका प्रभाव बैंक के लेन-देन पर उपर से लेकर निचली कतार पर पड़ेगा इस बात से भी इंकार नहीं किया जा सकता है। तो अब ऐसे में सवाल दो, कि क्या इतने बड़े नुकसान को बैंक झेलेगा या फिर सरकार? या फिर देश के आम खाता-धारको के खाते से पैसे काटकर उनके जन-जीवन को ठप कर दिया जाएगा? बहराल, बैंको में घोटालों की लंबी फेहरिस्त है। ऐसा हम इसलिए कह रहे हैं क्योंकि नोटबंदी जैसे फैसले को अगर किसी ने पलीता लगाया तो वो है बैंक। नोटबंदी के बाद पहले ही 12 घंटों में जो कुछ हुआ वह किसी से छिपा नहीं है। आम आदमी रात-रात भर लाइनों में खड़ा रहा, नए नोट लेने वाले नोट ले गए। जनता बैचारी दम तोड़ती रही। कोआपरेटिव बैंको ने तो सारी हदे पार कर दी। बहुराष्ट्रीय बैंकों ने जमकर खेल खेला। एक बैंक ने तो गरीबों, आदिवासियों से क्रेडिट कार्ड जारी करने के बहाने कागजों पर अंगूठे लगवाने के साथ-साथ टर्मलोन के फार्म दस्तावेजों पर हस्ताक्षर या अगूंठा लगाकर उनके नाम पर करोड़ो रुपए हड़प लिए थे। पीएनबी में हुआ घोटाला तो पिछले वर्ष बैंक को हुए मुनाफे से 8 गुणा ज्यादा है। बहराल, बैंकिग सैक्टर को नुकसान पहुंचाने वाले भी भीतर ही बैठे हैं। इन काली भेड़ों को पहचान कर उन्हें दंडित करना बेहद ही जरुरी है।