आधारकार्ड इन दिनों लोकतंत्र के लिए घातक साबित होता जा रहा है। बुज़ुर्गों के बढ़ते बुढ़ापे के साथ-साथ उनके फिंगरप्रिंट थके और बूढ़े होने की वजह से वे जिंदा हैं भी या नहीं इस बात की पुष्टि कर पाना बेहद कठिन दिखाई दे रहा है।
सरकार आधारकार्ड की अनिवार्यता को लेकर संजीदा दिखाई दे रही है, लेकिन जमीनी तौर पर अधारकार्ड ने तमाम लोगों की जिंदगी को हाशिए पर ला कर खड़ा कर दिया।
अभी कुछ दिन पहले झारखंड में एक मासूम बच्ची की भूंख के कारण मौत हो गई वजह सिर्फ इतनी थी कि उसके परिवार के राशन कार्ड में आधारकार्ड लिंक नहीं था जिसकी वजह से उसे राशन देने से इंकार कर दिया। ऐसे तमाम पहलू उभर कर सामने आए जब आधार कार्ड ने लोगों की जिंदगी को निराधार बना दिया।
एक मशीन ने इंसान के राशन, पेंशन और इलाज जैसे बुनियादी अधिकार छीन लिए। ये आधारकार्ड है या संहार कार्ड।
ये लेखक के अपने विचार है……..अनुज अवस्थी