पटना: RJD प्रमुख लालू प्रसाद यादव के चारा घोटाला के एक मामले में फिर से जेल जाने के बाद बिहार के राजनीतिक गलियारों में खलबली मच गई है। वहीं RJD को लेकर तरह-तरह के कयास भी लगाए जाने लगे हैं। वैसे जानकारी के लिए आपको बता दें कि यह कोई पहली बार नहीं है कि लालू प्रसाद जेल गए हैं। इसके पहले भी लालू जेल जा चुके हैं।  राजनीति के विश्लेषक और पटना के वरिष्ठ पत्रकार सुरेंद्र किशोर कहते हैं कि यह सही है कि जब से लालू प्रसाद चारा घाटाले के मामले में फंसे हैं, उनके जनाधार में कमी आई है लेकिन ऐसा भी नहीं है कि वे बिहार की राजनीति में हाशिये पर चले गए हों।

उन्होंने कहा, “देश में ऐसा देखा जाता रहा है कि भ्रष्टाचार के कई मामलों में दोषी पाए जाने के बाद भी समाज और जाति के लोग चिपके रहते हैं। लालू की मुख्य पकड़ यादव और मुसलमानों पर रही है। जाति केंद्रित समाज में लोगों का नजरिया बहुत कुछ जाति के इर्द-गिर्द घूमता रहता है। ऐसे में माना जा सकता है कि यादव जाति के लोगों का उनके प्रति झुकाव रहेगा।” उन्होंने कहा कि बिहार के मुसलमानों को भाजपा का कोई विकल्प नजर नहीं आता है। ऐसे में उनका लालू से अलग होना बहुत आसान नहीं है। उन्होंने कहा कि लालू प्रसाद अतिवादी मुसलमानों के दर्द को भी सहलाते रहे हैं, ऐसे में उन्हें लालू का चेहरा ज्यादा पसंद आता है।

RJD  के नेता भी बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जगन्नाथ मिश्र को इस मामले में बरी किए जाने को जातीय मानसिकता के प्रमाण के रूप में पेश कर रहे हैं। राजद के नेता शिवानंद तिवारी भी कहते हैं लालू के जेल जाने के बाद पिछड़े और दलित समुदायों का भी उन्हें समर्थन मिलेगा। किसी भी राजनीतिक दल के प्रमुख की अनुपस्थिति, खासकर लालू जैसे नेता की अनुपस्थिति पार्टी के लिए नुकासानदेह साबित होती है। यही कारण है कि RJD के लिए यह स्थिति संकटपूर्ण है।