पटना: कोरोना वायरस के मामले ने बिहार जहाँ रफ़्तार पकड़ ली है वही सूबे में सियासत भी गर्मा गयी है. नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव बिहार सरकार पर हमले का कोई मौका नहीं छोड़ रहे है. उन्होंने पहले डॉक्टर और मेडिकल स्टाफ का मुद्दा उठाया, उसके बाद मजदूर, फिर कोटा में फंसे बिहार छात्र-छात्राओं का मुद्दा. अब वो शिवहर के डिस्ट्रिक्ट सेशंस जज के पत्र को आधार बनाकर नीतीश सरकार को घेरने की कोशिश में लग गए है.

तेजस्वी यादव ने रविवार को ट्वीट में कहा, ‘ज़िला एवं सत्र न्यायाधीश, शिवहर के इस पत्र को पढ़कर आप बिहार सरकार की कोरोना संबंधित तैयारियों, बचाव और उपचार का अंदाज़ा लगा सदमे में जा सकते है. मैं पहले दिन से कह रहा हूं बिहार भगवान भरोसे चल रहा है. सरकार बस खानापूर्ति कर रही है. ना कोई प्रोएक्टिव एप्रोच और ना ही रिएक्टिव.

तेजस्वी ने कहा, ‘बिहार में हालात बदतर होते जा रहे हैं. ज़रूरी टेस्टिंग नहीं हो रही है. ना ही आवश्यक संख्या में टेस्टिंग किट्स और वेंटिलेटर्स उपलब्ध हैं. बाहर फंसे 17 लाख बिहारियों को निकालने की कोई व्यवस्था नहीं है, ना ही प्रवासी कामगारों और छात्रों को वापस लाने की कोई मंशा है. सरकार पूरी तरह असहाय, असमर्थ और थकी हुई है.’

तेजस्वी ने कहा कि बिहार में चारों ओर राशन वितरण में धांधली हो रही है. लाभार्थियों को गला-सड़ा अनाज बांटा जा रहा है. क़्वारंटीन केंद्रों में कोई सुविधा नहीं, जांच रिपोर्ट्स में लगातार गड़बड़ी उजागर हो रही है, सरकार की ओर से जारी आंकड़ों में स्थिरता और पारदर्शिता नहीं है. पुलिसकर्मियों और स्वास्थ्यकर्मियों के पास जरूरी स्वास्थ्य सुरक्षा उपकरण उपलब्ध नहीं है. ज़रूरतमंदों तक मदद और राहत सामग्री नहीं पहुंच रही है. बिहार में सबसे कम टेस्ट हो रहे है. केंद्रीय मंत्री के मुताबिक सार्वजनिक वितरण प्रणाली में बिहार का सबसे बुरा प्रदर्शन है.

बैंकों और बाज़ारों में सामान्य दिनों की तरह भीड़ जमा हो रही है. लॉकडाउन का उचित पालन नहीं हो रहा. ये सब मुख्यतः माननीय मुख्यमंत्री की विफलताएं हैं. जिनका कहीं कोई जिक्र नहीं हो रहा है. प्रशासन के असहयोगात्मक रवैये के बावजूद ज़मीन पर मुख्य रूप से विपक्षी दलों के सामाजिक-राजनीतिक कार्यकर्ता जरूरतमंदों की सहायता कर रहे हैं. हमेशा की तरह मुख्यमंत्री और सरकार ज्वलंत समस्याओं की बजाय नफा-नुकसान के राजनीतिक हथकंडों में उलझे हुए हैं.