कहाँ सुनाई थी शुकदेव जी ने भागवत कथा राजा परीक्षित को:
धार्मिक पुराणों में एक महापुराण श्रीमद् भागवत की कथा तो आपने बहुत सुनी होंगी लेकिन क्या आपको पता है कि कहां सुनाई थी राजा परीक्षित को शुकदेव जी ने भागवत कथा आइए जानते हैं शुकदेव जी ने राजा परीक्षित को शुक्रताल में कथा सुनाई थी।
कहाँ है शुक्रताल-
पश्चिमी उत्तर प्रदेश के जिले मुजफ्फरनगर के अंतर्गत शुक्रताल नामक गांव है जिसे आज लोग शुकतीर्थ के नाम से जानते हैं, शुक्रताल का प्राचीन नाम शुकतार था जो आज शुक्रताल हो गया शुकतार का अर्थ है एक ऐसा स्थान जिसे शुकदेव जी ने परीक्षित का तारण किया ।
क्या है आज शुक्रताल की महिमा-
शुक्रताल में आज भागवत कथा उच्च स्तर पर सुनाई जाती हैं वहां लाखों की तादात में भक्तगण कथा करवाने या सुनने आते हैं वहां आज भी वही वटवृक्ष है जिसे कहा जाता है कि इस वटवृक्ष के नीचे ही परीक्षित को शुकदेव जी ने भागवत कथा श्रवण कराई थी ।
क्या है उस वट वृक्ष की महिमा-
वह वटवृक्ष 5000 वर्ष से भी अधिक आयु का हो चुका है आश्चर्य की बात तो यह है कि उस वृक्ष के पत्ते 12 मास यानी कभी नहीं सूखता ना ही उस वृक्ष में पतझड़ होता है उस वृक्ष के और बट वृक्षों की तरह जड़ नहीं निकलती जो कि और बट वृक्षो में झूले की तरह जड़ें लटकती हैं वह इस बट वृक्ष में देखने को नहीं मिलती और तो और इस बट वृक्ष में श्री गणेश जी की मूर्ति के दर्शन होते हैं ।
आज के कथा वाचक क्यों नही बताते शुक्रताल के बारे में –
आज जो कथा वाचक कथा करते हैं कुछ को तो पता ही नहीं है कि शुक्रताल कहां है और यह क्या है और कुछ कथावाचकों को भ्रम है, वह बोलते हैं कि शुकदेव जी ने हरिद्वार में कथा सुनाई थी लेकिन ऐसा नहीं है क्योंकि हरिद्वार में शुकदेव जी ने नहीं बल्कि ब्रह्मा जी के पुत्र सनकादि भाइयों ने सुनाई थी नारद जी के कहने पर यह प्रमाण भागवतजी में स्वयं मिलता है।