बेंगलुरु : इसरो अपने महत्वाकांक्षी चंद्रयान-2 मिशन की टेस्टिंग के आखिरी राउंड में है। तमिलनाडु के महेंद्रगिरी और बेंगलुरु के ब्यालालू में फाइनल टेस्ट चल रहा है। इसरो की तैयारी 9 जुलाई से लॉन्चिंग शुरू करने की है। इसरो के मौजूदा शेड्यूल के मुताबिक स्पेसक्राफ्ट 19 जून को बेंगलुरु से रवाना होगा और 20 या 21 जून तक श्रीहरिकोटा के लॉन्चपैड पर पहुंचेगा।
थ्री डी मैपिंग से लेकर वॉटर मॉलिक्यूल्स तक और मिनरल्स की चेकिंग से उस जगह पर लैंडिंग तक जहां आज तक कोई नहीं पहुंचा है। इसरो ने चांद पर जाने की बड़ी तैयारी कर रखी है। इसरो के इस महत्वाकांक्षी मिशन की कई चुनौतियां भी हैं।
एक्युरेसी की मुश्किल
धरती से चांद की दूरी 3,844 किलोमीटर है। ट्राजेक्टरी एक्युरेसी मुख्य चीज है। यह चांद की ग्रेवेटी से प्रभावित है। इसके अलावा चांद पर अन्य खगोलविद संस्थाओं की मौजूदगी और सोलर रैडिएशन का भी इस पर प्रभाव पड़ने वाला है।
डीप-स्पेस कम्युनिकेशन
कम्युनिकेशन में देरी भी एक बड़ी समस्या होगी। कोई भी संदेश भेजने पर उसके पहुंचने में कुछ मिनट लगेंगे। सिग्ल्स वीक हो सकते हैं। इसके अलावा बैकग्राउंड का शोर भी संवाद को प्रभावित करेगा।
-एजेंसियां