दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने राफेल सौदे मामले में मोदी सरकार से सीलबंद लिफाफे में कीमत और डील के फायदे के बारे में जानकारी मांगी है. कोर्ट ने कहा कि सरकार 10 दिनों में इसका ब्योरा सीलबंद लिफ़ाफ़े में उपलब्ध कराये. इस मामले की अगली सुनवाई 14 नवंबर को होगी.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा, जो सूचनाएं सावर्जनिक की जा सकती है, सरकार उसे याचिकाकर्ताओं के साथ साझा करे. सुप्रीम कोर्ट ने सौदे में ऑफसेट साझेदारों को शामिल करने के बारे में भी जानकारी मांगी है.
हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने यह भी साफ किया कि वह भारतीय वायु सेना के लिए उपकरणों की कीमतों और इसकी उपयुक्तता पर विचार नहीं करेगा. सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश से केंद्र सरकार पर दबाव बढ़ गया है, क्योंकि अगले महीने पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं.
याचिका संयुक्त रूप से पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा, अरुण शौरी और वकील प्रशांत भूषण की है. चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अगुआई वाली बेंच ने केंद्र सरकार को 10 अक्टूबर को यह आदेश दिया था कि वह चरणबद्ध तरीके से इस सौदे की खरीद प्रक्रिया की जानकारी दे.
याचिकाकर्ताओं ने कहा कि राफेल विमान सौदे की जांच सीबीआई से करायी जाये, कोर्ट ने मना नहीं किया मगर इतना जरूर कहा कि पहले सीबीआई को अपना घर संभाल लेने दे.
आप को बता दे कि राफेल डील सौदे को लेकर सुप्रीम कोर्ट में करीब 4 याचिकाएं लंबित पड़ी हैं. यशवंत सिन्हा, अरुण शौरी और प्रशांत भूषण ने राफेल डील मामले में एफआईआर दर्ज कराने की मांग की है. उन्होंने भारत और फ्रांस के बीच हुए इस सौदे में सरकार द्वारा आपराधिक दुर्व्यवहार का आरोप लगाया है.