दिल्‍ली: भारत और फ्रांस के बीच हुए राफेल Aircraft का मामला थमने का नाम नहीं ले रहा है. राफेल Aircraft सौदे के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में एक नई याचिका दायर की गई है. जिस पर न्यायालय ने 10 अक्टूबर का दिन मुकर्रर किया है. जनहित याचिका में न्यायालय से केन्द्र को निर्देश देने का अनुरोध किया गया है कि वह सौदे की विस्तृत जानकारी और संप्रग तथा राजग सरकारों के दौरान विमान की कीमतों का तुलनात्मक विश्लेषण सील बंद लिफाफे में न्यायालय दे.

प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति एस. के. कौल और न्यायमूर्ति के. एम. जोसेफ की पीठ अधिवक्ता विनीत धांडा की ओर से दायर जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी. इससे पहले भी 5 सितंबर को उच्चतम न्यायालय में एक जनहित याचिका दायर की गई थी. जिसमें इस सौदे पर रोक लगाने के लिए कहा गया था. अधिवक्ता एम एल शर्मा की दलीलों पर गौर करते हुए न्यायालय की पीठ ने उनकी अर्जी तत्काल सुनवाई के लिए सूचीबद्ध कर लिया था. शर्मा ने अपनी अर्जी में फ्रांस के साथ राफेल सौदे में विसंगतियों का आरोप लगाते हुए उस पर रोक की मांग की थी.

बता दें कि राफेल मुद्दे पर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की अगुवाई में विपक्षी पार्टियां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को घेरने की कोशिश कर रहे हैं. इस मामले पर पीएम द्वारा साधी गई चुप्पी पर गांधी सवाल उठा रहे हैं. कांग्रेस का आरोप है कि पीएम मोदी ने फ्रांस की सरकार से 36 लड़ाकू विमान खरीदने का जो सौदा किया है उसका मूल्य यूपीए कार्यकाल में किए गए सौदे की तुलना में अधिक है. जिसकी वजह से सरकारी खजाने को हजारों करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है. पार्टी का दावा है कि पीएम नरेंद्र मोदी ने इस सौदे को बदलवाया और ठेका एसएएल से लेकर रिलायंस डिफेंस को दे दिया.