श्रीराम राघवन की आखिरी फिल्म 2015 में ‘बदलापुर’ आई थी। श्रीराम राघवन सस्पेंस श्रिलर सिनेमा के विशेषज्ञ माने जाते हैं। अपनी पहली फिल्म ‘एक हसीना थी’ (2004) से ही श्रीराम ने संस्पेंस और थ्रिल को अपना जॉनर बनाया। हालांकि उनकी फिल्म के अंदर लव और रिलेशन को भी गढ़ा जाता है। बदलापुर श्रीराम की एक ऐसी ही फिल्म थी। बदलापुर वरूण धवन के करियर की अहम फिल्म रही थी, जिसे बॉक्स आफिस पर भी सफलता मिली थी। बदलापुर नवाजुद्दीन सिद्दकी के लिए भी बहुत खास रही थी। फिल्म में राधिका आप्टे की भी प्रशंसा हुई थी। श्रीराम ने इस बार ‘अंधाधुन’ के रूप में आयुष्मान खुराना, राधिका आप्टे और तब्बू के साथ मिलकर नया प्रयोग किया है। एक संगीत प्रेमी युवक का अंधा बनना और फिर परिस्थितियों वश उस अंधकार को जीना और फिर अपने हालातों से लड़ते हुए मंजिल तक पहुंचने की कहानी ‘अंधाधुन’ है। इस दौरान फिल्म में क्राइम, थ्रिल और सस्पेंस है, और नए रूप में तब्बू हैं। तब्बू ने इससे पहले भी फिल्म ‘मकबूल’ और ‘दृश्यम’ में ग्रे शेड वाला किरदार निभाया था। ‘जाल द ट्रैप’ में उन्होंने विलेन का किरदार प्ले किया था। लेकिन अंधाधुन में वो एक्टिंग के सभी भावों को जी रही हैं। वहीं आयुष्मान खुराना ने अपने फिल्मी करियर में कभी ऐसा किरदार नहीं निभाया था। आजतक उनके हिस्से यूथ ऑरियेंटेड और पारिवारिक फिल्में हाथ आई थी। श्रीराम ने उनके साथ भी सफल प्रयोग किया है।

आयुष्मान-तब्बू की बेहतरीन अदायगी

‘अंधाधुन’ डायरेक्टर श्रीराम राघवन की बेहद खूबसूरत फिल्म है। यह एक सस्पेंस थ्रिलर फिल्म है। श्रीराम ने उम्दा स्क्रीप्ट से बेहतरीन निर्देशन किया है, उस पर फिल्म के सभी कलाकार उनकी मेहनत पर खड़े उतरते हैं। आयुष्मान खुराना की एक्टिंग का एक और पहलू हमें पर्दे पर देखने को मिलता है। हालांकि श्रीराम ने आयुष्मान के उसी मुस्कान वाले अंदाज के साथ उनका किरदार रचा है। फिल्म में आयुष्मान को एक बेबस अंधे के रूप में बिल्कुल भी नहीं दिखाया गया है। आयुष्मान ने अपने सपनों को पाने के लिए अंधा बने युवक की खुशी और बेचैनी को जीवंत बना दिया है। तब्बू दर्शकों को अपनी अदायगी से चौंकाती हैं। तब्बू ने इस फिल्म में अपने अभिनय को बारीकियों से प्रदर्शित किया है, हालांकि उनके किरदार को ग्रे शेड दिया गया है। उनका अनुभव और हुनर पर्दे पर खड़ा उतरा है। उनकी संवाद अदायगी से लेकर भावों को रूपहले पर्दे पर देखना रोचक लगता है। राधिका आप्टे को लेकर बहुत अधिक प्रयोग नहीं किये गए हैं। वो एक मॉडर्न ख्यालात की लवर के किरदार में हैं।

फिल्म के सभी किरदार और सीन हैं अहम

अंधाधुन का पहला हाफ बहुत खूबसूरत बना है। दूसरा हाफ शुरूआत में थोड़ा से खींचता नजर आता है, लेकिन फौरन ही फिल्म पटरी पर लौट आती है। फिल्म में कई यादगार सीन हैं। खासकर साइलेंट सीन देखने में एक अगल अनभव देता है, जहां आयुष्मान सबकुछ देखते हुए पुरानी फिल्मों का धुन पियानो पर बजा रहे हैं और तब्बू अपने प्रेमी के साथ मिलकर अपने पति की लाश को छुपा रही है। उस सीन में तब्बू की एक्टिंग देखते बनती है। फिल्म पूरी तरह तब्बू और आयुष्मान खुराना पर फोक्स किया गया है। लेकिन साथ ही सभी किरदारों के लिए फिल्म में स्पेस दिया गया है। इंस्पेक्टर महेंद्र का किरदार निभाने वाले मानव विज अपने किरदार में जंचे हैं। महेंद्र की पत्नी रसिका यानि अश्विनी कलसेकर अपनी छोटी भूमिका में भी अपना ध्यान खींचने में सफल रहती हैं। डॉक्टर के छोटे किरदार में जाकिर हुसैन अपना प्रभाव छोड़ते हैं। लॉटरी बेचने वाली मौसी के रूप में छाया कदम का किरदार असरदार दिखा है।

वीकेंड पर हिट रही फिल्म

22 करोड़ के बजट से बनी अंधाधन को 900 से भी अधिक स्क्रीन पर भारत में रीलीज किया गया है। फिल्म ने इस हफ्ते रीलीज हुई ‘लवयात्रि’ को पूरी तरह से पछाड़ दिया है। फिल्म के अच्छे रिव्यू के बाद दर्शकों में लगातार इजाफा हो रहा है। फिल्म ने रीलीज डेट 5 अक्टूबर को 2.5 करोड़ का बिजनेस किया। वहीं शनिवार को इसके क्लेकशन में बढ़ोतरी हुई, और फिल्म ने 5 करोड़ का व्यापार किया, फिल्म ने आज तक खबरों के अनुसार 10 करोड़ से ज्यादा का इनकम किया है। फिल्म इस हफ्ते रीलीज हुई ‘लवयात्रि’ और विदेशी फिल्म ‘विनोम’ से कोई खास टक्कर न होने की वजह से नए सप्ताह में सोमवार से गुरूवार तक अच्छी कमाई कर सकती है।