अनुज अवस्थी, नई दिल्ली: अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी AMU में भारत पाकिस्तान के बटवारे के मुख्य कारण और पाक के संस्थापक मोहम्मद अली जिन्ना की तस्वीर यूनिवर्सिटी में लगे होने को लेकर देश में सियासी पारा गरमा गया है। दरअसल, भाजपा सांसद सतीश गौतम ने यूनिवर्सिटी के वीसी को पत्र लिखकर मोहम्द अली के खिलाफ आपत्ति दर्ज कराई है। भाजपा सांसद ने अपने पत्र में लिखा है कि अगर वे लोग विश्वविद्यालय में कोई तस्वीरें लगाना चाहते हैं तो उन्हें महेंद्र प्रताप सिंह जैसे महान लोगों की तस्वीर संस्थान में लगानी चाहिए, जिन्होंने यूनिवर्सिटी बनाने के लिए अपनी जमीन दान में दी थी। न कि उस जिन्ना की जिसकी वजह से भारत के दो टुकड़े हो गए और हजारों लोगो का कत्ल हो गया।
हलांकि गौतम का कहना है कि उन्हें पता नही हैं कि संस्थान के किस भाग में जिन्ना की तस्वीरें लगाई गई हैं। उन्होंने आगे कहा कि देश के बंटवारे के बाद पाकिस्तान के फाउंडर की तस्वीर यूनिवर्सिटी में लगाने का कोई औचित्य ही नहीं बनता। इतना ही नहीं उन्होंने वीसी से ये भी पूछा कि ऐसी जरुरत क्या आन पड़ी जो उन्हें संस्थान में जिन्ना की तस्वीरें लगानी पड़ी।
खबरों के मुताबिक एएमयू के पीआरओ शैफी किदवई ने बताया कि यूनिवर्सिटी का छात्रसंघ एक स्वतंत्र संस्था है। छात्रसंघ ने 1920 में आजीवन सदस्यता देन की शुरुआत की थी। तब महात्मा गांधी और जिन्ना को भी सदस्यता मिली थी, तब वहां जिन्ना की तस्वीर को चस्पा किया गया था। छात्रसंघ अध्धयक्ष फैजुल हसन का कहना है कि जिन्ना को लेकर संस्थान में कोई भी चैप्टर नहीं पढ़ाया जाता न हीं उनके नाम का कोई कार्यक्रम किया जाता है। छात्रसंघ अध्धयक्ष का कहना है कि अगर भारत सरकार जिन्ना की तस्वीर को हटाने का कोई अादेश देती है तो उस पर कार्यवाही की जाएगी।
अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के छात्रसंघ के मौजूदा अध्यक्ष मशकूर अहमद उस्मानी ने कहा कि जिन्ना को छात्रसंघ ने आजीवन सदस्यता दी थी। आजादी से पहले छात्रसंघ की तरफ से जिन्ना की तस्वीर लगाई गई थी। सांसद सतीश गौतम वीसी को पत्र क्यों लिख रहे हैं? तस्वीर छात्रसंघ के हॉल में लगी है। उन्हें छात्रसंघ को पत्र लिखना चाहिए, हम लोग उनके पत्र का मुंहतोड़ जवाब देंगे।
अब ऐसे में सवाल उठता है कि जिस व्यक्ति ने भारतवर्ष को बांटने का काम किया है उस व्यक्ति की किसी भी संस्थान में तस्वीर लगाना कितना जायज है।