अनुज अवस्थी, नई दिल्ली:  9 साल पहले हुए मुंबई ब्लास्ट मामले ने आज एक नया मोड तब ले लिया जब पाकिस्तान के गृह मंत्रालय ने मुंबई हमले के चीफ प्रॉसिक्यूटर को ‘सरकार के बताए दिशानिर्देश पर न चलने का हवाला देते हुए मुकदमे मे अलग थलग कर दिया। आपको बता दें कि यह जानकारी रविवार को एक अधिकारी ने दी। मुंबई हमले के आरोपियों को सजा दिलाने के लिए भारत अपनी ओर से पुरजोर कोशिश कर रहा है।

लेकिन इस घटना के घटने के बाद भारत को करारा झटका लगा है। जानकार मानते हैं कि मुंबई आतंकी हमले में ये प्रॅासिक्यूटर काफी हद तक मददगार साबित हो सकता था। आपको जानकारी के लिए बताते चलें कि लश्कर-ए-तैयबा के 10 आतंकवादी नवंबर 2008 में कराची से मुंबई नाव से पहुंचे थे। और मुंबई में कई जगहों पर दिल दहला देने वाले हमलों को अंजाम दिया था। इस फिदायनी हमले में तकरीबन 166 लोगों की मौत हो गई थी और 300 से ज्यादा लोग जख्मी हो गए थे।

प्रॅासिक्यूटर और सरकार के बीच में पनप रहे मतभेदों का हवाला देते हुए अधिकारी ने कहा कि इस पूरे मामले और मुकद्दमे को लेकर सरकार की अपनी एक अहम सोच है। और अजहर सरकार के निर्देशो के मुताबिक नहीं चल रहे हैं। अधिकारी के मुताबिक वह हाई प्रोफाइल मुकदमों में लॉ बुक के हिसाब से चल रहे थे। आपको बता दें कि पाकिस्तान सरकार ने मुंबई हमला केस के चीफ प्रॉसिक्यूटर को हटाने के इस फैसले की कोई खास वजह  नहीं बताई है।