नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट में गुरुवार को अयोध्या में विवादित राम जन्मभूमि मामले की सुनवाई हुई। चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस अब्दुल नजीर की पीठ में सभी पक्षों ने दस्तावेजों के जरिए अपना पक्ष रखा। सुनवाई के दौरान जस्टिस दीपक मिश्रा ने साफ किया कि वह इस मामले को जमीन विवाद के तौर पर देखेंगे। कोर्ट ने सभी पक्षों को दो हफ्ते में दस्तावेज तैयार करने का आदेश दिया। कोर्ट ने साथ ही साफ किया कि इस मामले में अब कोई नया पक्षकार नहीं जुड़ेगा। मामले की अगली सुनवाई अब 14 मार्च को होगी।
खबरों के अनुसार कोर्ट ने प्रक्रियात्मक जरूरतों को पूरा करने के लिए सभी पक्षों को दो हफ्ते का समय दिया गया है। अब 14 मार्च से कोर्ट में मामले की फुल सुनवाई शुरू होगी।
गौरतलब है कि 11 अगस्त को 3 जजों की स्पेशल बेंच ने इस मामले की सुनवाई की थी। सुप्रीम कोर्ट में 7 साल बाद अयोध्या मामले की सुनवाई हुई थी। कोर्ट ने कहा था कि 7 भाषा वाले दस्तावेज का पहले अनुवाद किया जाए। कोर्ट से साथ ही कहा कि वह इस मामले में आगे कोई तारीख नहीं देगा। उल्लेखनीय है कि इस मामले से जुड़े 9,000 पन्नों के दस्तावेज और 90,000 पन्नों में दर्ज गवाहियां पाली, फारसी, संस्कृत, अरबी सहित विभिन्न भाषाओं में हैं, जिसपर सुन्नी वक्फ बोर्ड ने कोर्ट से इन दस्तावेजों को अनुवाद कराने की मांग की थी।
क्या है राम मंदिर और बाबरी मस्जिद का मामला:
6 दिसंबर 1992 को बाबरी मस्जिद को ढहा दिया गया था जिसके बाद सांप्रदायिक दंगो ने पूरी अयोध्या नगरी को अपने आगोश में ले लिया था । इस मामले को दो दशक से भी ज्यादा बीत चुके हैं लेकिन कुछ चीजें जहन में ऐेसे बैठ जाती हैं जिन्हें कभी भुला पाना बहुत मुश्किल होती है। बहराल, तब से लेकर अब तक ये मामला न्यायालय में विचाराधीन हैं।