नपुंसक योग –

नपुंसक योग एक ऐसा योग है जिसे शादी करने से पहले या लव मैरिज करने से पहले खासकर लड़कियां जरूर किसी ज्योतिषी से लड़के की कुंडली को दिखवा लें और जिन लड़कियों को यह बात किसी जोतिषी से बोलने में शर्म आती हो तो उनके माता-पिता अवश्य इस योग को लड़के की कुंडली में दिखवा लें नहीं तो अक्सर देखा जाता है की शादी होने के बाद बच्चे नहीं होते उसका यही कारण है कि उस लड़के में नपुंसकता होती है और लड़कियों में भी नपुंसकता होती है इसलिए लड़कों को भी लड़कियों की कुंडली में यह दिखवा लेना चाहिए नही तो बाद में पछतावा करने से क्या फायदा….।



यह है नपुंसक योग देखें अपनी कुंडली ….

1.मिथुन विषम राशि के सूर्य पर सम राशि कन्या या मीन के चन्द्रमा की पूर्ण दृष्टिहो।

2.मेष राशि के सूर्य पर वृश्चिक राशि के चन्द्रमा की परस्पर दृष्टि हो।

3.धनु राशि के सूर्य की मकर राशि के चन्द्रमा की परस्पर दृष्टि हो।

4.धनु राशि के सूर्य की कन्या या मीन राशि केचन्द्र की परस्पर दृष्टि हो।

5.मिथुन के बुध पर कन्या राशि के शनि की दृष्टि हो और यदि शनि दसवीं दृष्टि से बुध को देखे तो जातक नपुंसक होता है। लेकिन यह ध्यान रखें कि यदि शुभग्रहों की भी दृष्टिहो तो नपुंसक रोग से बचाव हो जाता है।

6.जैमिनी जी के अनुसार सूर्य विषम राशि में हो और चन्द्रमा सम राशि में हो और परस्पर दृष्ट हों तो नपुंसक योग बनता है। इसी प्रकार बुध विषम राशि में हो और शनि सम राशि में होकर परस्पर दृष्ट या युत हों तो जातक नपुंसक होता है।

7.मंगल विषम राशि में और सूर्य सम राशि में होकर परस्पर दृष्ट हो तो भी इस योग के बननेकी संभावना रहती है।

8.लग्न व चन्द्र विषम राशि के हों एवं मंगल सम राशि में होकर परस्पर दृष्ट या युत हो तो जातक नपुंसक होता है।

9.चन्द्रमा विषम राशि में और बुध सम राशि में होकर परस्पर दृष्ट या युत हों तो भी यहयोग बनता है।

10.लग्न, चन्द्र, शुक्र विषम राशि में तथा विषम नवांश में हों और परस्पर युत या दृष्ट हों तो भी नपुंसक योग बनता है।

11.यदि कुण्डली में शनि व शुक्र एक दूसरे से२-१२ हों तो जातक नपुंसक होता है। जातक में संभोग करने की इच्छा रहती है परन्तु उसमें सन्तान उत्पन्न करने की क्षमता नहीं होती है।

12.षष्ठेश बुध व राहु के साथ युत होकर लग्न से सम्बन्ध बनाए तो जातक नपुंसक होता है।

13.यदि कुण्डली में चन्द्रमा सम राशि में और बुध विषम राशि में हो और दोनों पर मंगल की दृष्टि पड़ती हो तो जातक नपुंसक होता है।

14.लग्न सम राशि का हो और चन्द्रमा विषम राशि के नवांश में हो और उस पर मंगल की दृष्टि पड़ रही हो तो जातक नपुंसक होता है।

15.यदि लग्न व चन्द्र दोनों विषम राशि में हो और सूर्य से दृष्ट हो तो नपुंसक योग होता है।

16.शुक्र व शनि दसवें या आठवें भाव में हों, एक साथ युत हों या नीच राशि में हों, या नीच राशि शनि छठे भाव में स्थित हो तो जातक नपुंसक होता है।

17.कुण्डली में शुक्र वक्री ग्रह की राशि में हो तो जातक अल्प नपुंसक होता है।

18.यदि लग्नेश स्वराशि में हो और सप्तम भाव में शुक्र हो तो भी अल्प नपुंसक योग बनताहै।

19.कुण्डली में चन्द्र शनि की युति हो और मंगल चौथे या दसवें भाव में हो तो भी अल्प नपुंसक योग बनता है।

20.यदि तुला राशि में चन्द्रमा हो और वह मंगल, सूर्य या शनि से दृष्ट हो तो भी जातक नपुंसक होता है।

21.विषम राशि के मंगल की दृष्टि सम राशि के सूर्य पर पड़े तो भी जातक नपुंसक होता है।

22.यदि सप्तमेश शुक्र के साथ छठे भाव में होतो जातक की स्त्री नपुंसक होती है या जातक स्वयं अपनी स्त्री के प्रति नपुंसकहोता है। जातक के घर में गृहकलह, तलाक या द्वेष भी इसी कारण होता है।

23.कुण्डली में बुध कन्या या मिथुन राशि में हो और षष्ठेश लग्न में बुध से युत या दृष्ट हो तो स्त्री व पुरुष दोनों नपुंसक होते हैं।

24.यदि किसी की कुण्डली में शनि षष्ठेश होकर मिथुन या कन्या राशि में बैठा हो औरमंगल उसके साथ में हो तो ऐसी कुण्डली का जातक नपुंसक होता है।

इन योगों के अध्ययन से आप यह जान सकते हैं कि जातक नपुंसक है या नहीं।