दिल्ली : कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अहमद पटेल ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की ‘चुप्पी’ पर सवाल उठाया है. पटेल ने सोमवार को कहा कि भाजपा और उसके कुछ मुख्यमंत्रियों द्वारा कोविड-19 प्रसार को लेकर ‘समुदाय विशेष पर कलंक लगाए जाने पर’ एनएचआरसी ने चुप्पी साधे रखी. पटेल ने मुसलमानों का नाम नहीं लिया, लेकिन वे स्पष्ट रूप से विभिन्न माध्यमों से मुस्लिम विक्रेताओं के उत्पीड़न की बात कर रहे थे. अहमद पटेल ने कहा कि इस तरह की बात डब्ल्यूएचओ के दिशा-निर्देशों के विपरीत है.
उन्होंने अपने ट्वीट में कहा, “एनएचआरसी की चुप्पी आश्चर्यजनक है. इस महामारी के दौरान दो बड़े मानवाधिकारों का हनन हुआ है और हमने अभी तक इस संवैधानिक निकाय से इस बारे में कुछ नहीं सुना है- गरीब प्रवासियों के पैदल चलकर पलायन करने और एक समुदाय को डब्ल्यूएचओ के दिशा-निर्देशों के विपरीत जाकर कलंकित करना.”
आपको बताते चले कि निजामुद्दीन मरकज की घटना के बाद तब्लीगी जमात को एक राजनीतिक पार्टी और मीडिया द्वारा वायरस के प्रसार के लिए दोषी ठहराया गया और इसके परिणामस्वरूप समुदाय को लोगों द्वारा कलंकित किया गया है. यहां तक कि उत्तर प्रदेश में भाजपा के दो विधायकों ने कथित तौर पर लोगों को मुस्लिम विक्रेताओं से सब्जियां नहीं खरीदने के लिए कहा और मध्य प्रदेश में एक गांव में एक पोस्टर लगाया गया कि मुस्लिम व्यापारियों को व्यापार करने की अनुमति नहीं है. मध्य प्रदेश सरकार ने एफआईआर दर्ज करके कार्रवाई की है और उत्तर प्रदेश में भाजपा इकाई ने भी उक्त विधायक को नोटिस जारी किया है.