मोदी सरकार द्वारा बनाए गए विवादित संशोधित नागरिकता क़ानून (सीएए) के ख़िलाफ़ शाहीन बाग़ में चल रहे प्रदर्शनों के कारण सड़कें अवरुद्ध होने को लेकर सुप्रोम कोर्ट में दायर की गई याचिकाओं की सुनवाई करते हुए जस्टिस एसके कौल और जस्टिस केएम जोसेफ की पीठ ने कहा कि न्यायालय को इस बात की चिंता है कि यदि लोग सड़कों पर प्रदर्शन करना शुरू कर देंगे, तो फिर क्या होगा। पीठ ने कहा कि अनिश्चितकाल तक सड़क बंद नहीं की जा सकती और विरोध के लिए कोई अन्य स्थान ढूंढा जा सकता है।

जस्टिस कौल ने कहा कि लोगों के पास विरोध करने का हक़ है लेकिन इसमें संतुलन होना चाहिए। ‘लोकतंत्र विचारों की अभिव्यक्ति पर चलता है लेकिन इसके लिए भी सीमाएं हैं। उन्होंने कहा कि, अगर इस मामले की सुनवाई यहां चलने के दौरान आप विरोध करना चाहते हैं, वो भी सही है, लेकिन हमारी चिंता सीमित है। जस्टिस कौल ने कहा कि, आज कोई एक क़ानून है, कल समाज के किसी और तबके को किसी और बात से परेशानी हो सकती है, ट्रैफ़िक का अवरुद्ध होना और असुविधा हमारी चिंता का विषय है। उन्होंने कहा कि, मेरी यह भी चिंता है कि अगर कल हर कोई सड़क बंद करना शुरू कर दे, भले ही उसकी वाजिब वजह हो, तो यह सब कहां जाकर रुकेगा।’

पीठ ने कहा कि एक मध्यस्थता समिति को जाकर प्रदर्शनकारियों से बात करनी चाहिए। समिति की अगुवाई वरिष्ठ अधिवक्ता संजय हेगड़े करेंगे। पीठ ने उनसे दो और सदस्यों को चुनने को कहा और वकील साधना रामचंद्रन और पूर्व सूचना आयुक्त वजाहत हबीबुल्ला का नाम सुझाया। पीठ ने उनसे को प्रदर्शनकारियों से बात करने और उन्हें ऐसे वैकल्पिक स्थान पर जाने के लिए मनाने को कहा, जहां कोई सार्वजनिक स्थल अवरुद्ध नहीं हो। न्यायालय ने मामले की अगली सुनवाई की तिथि 24 फरवरी तय की। पीठ ने कहा कि लोगों को प्रदर्शन करने का मूल अधिकार है लेकिन जो चीज़ हमें परेशान कर रही है, वह सार्वजनिक सड़कों का अवरुद्ध होना है।

आपको बताते चले की राजधानी दिल्ली स्थित शाहीन बाग में मोदी सरकार द्वारा बनाए गए विवादित नागरिकता संशोधन क़ानून (सीएए) और राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) के ख़िलाफ़ धरना प्रदर्शन चल रहा है। इसकी वजह से रोड 13ए बंद है। यह रोड दिल्ली और नोएडा को जोड़ती है। इस बीच प्रदशनकारियों का दावा है कि हमारा विरोध-प्रदर्शन के रोड के एक ओर चल रहा है दूसरी ओर रोड को स्वयं स्थानीय प्रशासन और पुलिस ने बंद कर रखा है। जबकि प्रदर्शनकारी लगातार स्कूली बच्चों की बसों और एंबुलेंस को निकलने दे रहे हैं।