विश्व :एशिया महाद्वीप की दो बड़ी अर्थव्यवस्थाएं, भारत और चीन का एक साथ किसी मुद्दे पर समर्थन करना काफी कम देखने को मिलता है. लेकिन अमेरिका ने एकतरफ़ा ट्रेड वॉर छेड़कर दोनों देशों को एकजुट कर दिया है.
सोमवार से विश्व व्यापार संगठन (WTO) के 22, विकासशील और सबसे कम विकसित सदस्य देशों की बैठक शुरू हुई. भारत ने इस बैठक में व्यापारिक मुद्दों पर सदस्य देशों की एकतरफ़ा कार्रवाई से संबंधित क़ानून में संशोधन का प्रस्ताव पेश किया है. जिसपर चीन और दक्षिण अफ़्रीका, भारत के इस क़दम के समर्थन में सामने आया है.
प्रस्ताव में एक खास बिंदु यह है कि यह विकासशील देशों के लिए विशेष प्रावधान हैं जिसे स्पेशल ऐंड डिफरेंशल ट्रीटमेंट कहा जाता है. इसके तहत विकासशील देशों को समझौतों और वादों को लागू करने के लिए अधिक समय मिलता है और साथ ही, इसमें उनके व्यापारिक हितों की सुरक्षा के प्रावधान भी हैं.
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रम्प की ‘अमेरिका फर्स्ट’ की पॉलिसी से चीन के सामने बड़ी चुनौती खड़ी हो गई है और दोनों देशों के बीच जारी व्यापारिक बातचीत के सकारात्मक दिशा में जाने का कोई संकेत नहीं मिल रहे हैं. अमेरिका ने 5.6 अरब डॉलर मूल्य की आयातित वस्तुओं पर ड्यूटी बेनिफिट्स हटाकर भारत को भी व्यापारिक झटका दिया. यूएस ट्रेड सेक्रटरी विल्बर रॉस ने अपने हालिया दिल्ली दौरे में भारत पर आरोप लगाया कि वह अमेरिका से आयातित वस्तुओं पर अन्यायपूर्ण तरीक़े से आयात शुल्क लगाता है. ऐसे में अमेरिका की एकपक्षीय कार्रवाई के ख़िलाफ़ बहुपक्षीय एकजुटता से भारत और चीन फ़ायदे में रहेंगे.
वर्ल्ड ट्रेड ऑर्गनाइज़ेशन में जो मुद्दे फंसे हैं, उनमें भारत और चीन की दो-दो शिकायतें प्रमुख हैं. भारत ने लोहा और स्टील के आयात पर अमेरिका द्वारा सेफगार्ड ड्यूटीज़ लगाए जाने के आदेश को चुनौती दी है. एक अन्य मामले में भारत ने रीन्यूएबल एनर्जी पर अमेरिकी कार्यवाहियों को चुनौती दी है. वहीं, चीन ने अमेरिका द्वारा अधिक टैरिफ़ लगाए जाने के ख़िलाफ़ डब्ल्यूटीओ में शिकायत की. साथ ही, चीन ने कुछ स्टील प्रॉडक्ट्स पर अमेरिका द्वारा ड्यूटी बढ़ाने के फ़ैसले को चुनौती दी है.