दरभंगा : “द स्पौटलाइट थिएटर” के बैनर तले ल.ना.मि.विश्वविद्यालय के सहयोग से दिनांक 27/03/2019 बुधवार से आठ दिवसीय सांस्कृतिक महोत्सव ‘ अष्टदल’ की शुरुआत हुई। महोत्सव के पहले दिन हराही पश्चिम स्थित संगीत नाटक अनुभाग परिसर मे ‘कीर्तनियाँ एवं प्रभावित नाट्य शैली’ विषय पर सुनील ठाकुर की अध्यक्षता मे एक संगोष्ठी आयोजित की गई। इस अवसर पर दीपक सिन्हा ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि मिथिला मे कीर्तनियाँ ने ये प्रमाणित करता है कि लोक शैली में भी नाटकों की रचना सफलता पूर्वक की जा सकती है।.उन्होंने इस शैली के उपर मंडरा रहे खतरों के प्रति भी आगाह किया। प्रो.श्याम भास्कर ने अपने उद्बोधन मे कहा कि कीर्तनियाँ लोगो केँ बीच स्थापित मान्यताओं के आधार पर बनकर विकसित होते गए।कीर्ति गान ही कीर्तनियाँ का मूल है। संगोष्ठी मे बीज भाषण देते हुए संतोष राणा का कहना था कि .किर्तनियाँ शैली लोक नाटक की एक प्राचीन और प्रसिद्ध नाट्यशैली थी। इसमें न तो रचना कार का पता होता था न ही उसके स्रोत का कुछ ठिकाना होता था। उन्होने कीर्तनियाँ शैली की उत्पत्ति से विकास तक की घटना का संक्षिप्त विवरण पेश किया।अध्यक्षीय उद्बोधन मे सुनील ठाकुर ने कहा कि प्राचीन लोक नाट्यशैली को सुरक्षित, संरक्षित व सम्बर्धित करने की आवश्यकता है। ये हमारे सांस्कृतिक धरोहर हैं। इसे बचाना हमारा दायित्व है।

संगोष्ठी संचालन और धन्यवाद ज्ञापन सागर सिंह ने किया। संगोष्ठी के बाद अंतोन चेकोव रचित नुक्कड़ नाटक’ गिरगिट’ प्रदर्शित किया गया। जिसमें प्रशासन और तंत्र की कमियों पर चोट किया गया। इस का नाट्य रूपांतरण सफदर हाशमी,परिकल्पना प्रशांत राणा और निर्देशन सामूहिक था।
इस तरह ‘अष्टदल’ सांस्कृतिक महोत्सव का खुबसूरत आगाज हुआ. महोत्सव का श्री गणेश लालटेन जलाकर डॉ.पुष्पम नारायण व डॉ.लावण्या कीर्ति सिंह काव्या.ने किया। महोत्सव आठ दिनो तक लगातार चलेगा। आज के कार्यक्रम की शुरुआत सोनी नृत्यांगन की दुर्गा स्तुति की प्रस्तुति के साथ हुई, जिसमें कुमारी चंदना,नेहा कुमारी और पंकज ने नृत्य पेश किया।