J.M डेस्क : दुनिया का लाइलाज बीमारी AIDS वायरस के इलाज करने के क्षेत्र में बड़ी सफलता मिली है. डॉक्टरों ने दावा किया है कि लंदन के एक एचआईवी पॉजिटिव शख्स को स्टेम सेल ट्रांसप्लांट के जरिए सफलतापूर्वक एड्स वायरस से मुक्त करा लिया गया है. AIDS से ठीक होने वाला यह दुनिया का दूसरा व्यक्ति है, पहला व्यक्ति एक जर्मन था जो बर्लिन पेशेंट के नाम से मशहूर हुआ था. इसे 2008 में एड्स मुक्त करार दिया गया था. बाद में टिमोथी ब्राउन नामके इस शख्स ने अपनी पहचान उजागर कर दी थी.
लंदन के इस रोगी का नाम अभी उजागर नहीं किया गया है. 2003 में इसे पता चला था कि वह एचआईवी से ग्रस्त है लेकिन उसने 2012 में इस इन्फेक्शन का इलाज कराना शुरू किया था. 2012 में Hodgkin lymphoma नाम का कैंसर हुआ जिसका 2016 में स्टेम सेल ट्रांसप्लांट के जरिए इलाज शुरू हुआ.
इसके कैंसर का इलाज कर रहे डॉक्टरों को स्टेम सेल का ऐसा डोनर मिला जिसके शरीर में एक ऐसा दुर्लभ जीन म्यूटेशन हुआ था जो प्राकृतिक तौर पर एचआईवी के खिलाफ प्रतिरोधक क्षमता मुहैया कराता है. यह जानकारी होने पर डॉक्टरों को लगा कि कैंसर के साथ-साथ इसके एचआईवी का भी इलाज हो जाएगा. यह जीन म्यूटेशन उत्तरी यूरोप में रहने वाले महज एक प्रतिशत लोगों में होता है.
इस ट्रांसप्लांट से लंदन के इस पेशेंट की पूरी प्रतिरक्षा प्रणाली ही बदल गई जिससे डोनर की ही तरह उसका शरीर भी एचआईवी वायरस के खिलाफ बेअसर हो गया. इसके बाद इस मरीज ने स्वेच्छा से एचआईवी की दवाएं लेना बंद कर दीं ताकि यह देखा जा सके कि कहीं एड्स वायरस फिर से तो सक्रिय नहीं हो जाएगा. आमतौर पर दवा बंद करने के दो से तीन हफ्तों में वायरस फिर सक्रिय हो जाता है लेकिन लंदन के मरीज के साथ ऐसा नहीं हुआ. दवा बंद करने के 18 महीनों के बाद भी उसके शरीर में एड्स वायरस नहीं पाया गया.
एड्स से ठीक होने वाले पहले शख्स ब्राउन ने इस नई जानकारी पर कहा, ‘मैं लंदन के इस पेशेंट से मिल कर उससे अपनी पहचान सार्वजनिक करने को कहूंगा ताकि एचआईवी ग्रस्त लोगों को नई उम्मीद मिले।’ यह रिपोर्ट सोमवार को साइंस के जर्नल ‘नेचर’ में ऑनलाइन प्रकाशित हुई थी, अब इसे अमेरिका के सिएटल में होने वाली एचआईवी कॉन्फ्रेंस में पेश किया जाएगा.