उत्तराखंड में ‘केदारनाथ’ है बैन, हिंदु-मुस्लिम लव एंगल पर आपत्ति
-अभिषेक कुमार
हिंदी फिल्मों में हिंदु-मुस्लिम प्यार को कई बार गढ़ा गया है। इस मुद्दे पर बनी आखिरी हिट हिंदी फिल्म 2013 में आनंद एल राय की ‘रांझना’ थी, जिससे तमिल सुपरस्टार धनुष ने हिंदी फिल्मों में अपना आगाज किया था, उनके साथ सोनम कपूर को रूपहले पर्दे पर बड़ी हिट मिली थी। उससे पूर्व 2012 में ‘इश्कजादे’ आई थी, जिससे अर्जुन कपूर और परिणीति चोपड़ा ने अपने करियर का आगाज किया था। यह फिल्म भी हिट साबित हुई थी। 21वीं सदी की शुरूआत से ही इस लव एंगल पर कई फिल्में आती रही हैं जिनमें 2001 की सुपरहिट फिल्म ‘गदर’ 2003 की पिंजर’ और 2004 की बेस्ट फिल्म ‘वीर-जारा’ शामिल है।
ऋतिक रोशन और ऐश्वर्या राय की 2008 की ‘जोधा-अकबर’ और शाहरूख खान की 2010 में ‘माई नेम इज खान’ को भी इसी लव एंगल में शामिल किया जा सकता है। ये दोनों फिल्में दर्शकों के साथ-साथ समीक्षकों को भी बहुत भाई थी। हालांकि इन फिल्मों में हिंदु-मुस्लिम एंगल को रखा जरूर गया था, लेकिन फिल्म की मूल कहानी किसी और विषय पर फोकस करके बनाई गई थी।
90 के दशक में हिंदु-मुस्लिम लव स्टोरी पर हिंदी में यादगार फिल्में आई। 1995 में मणि रत्नम की ‘बांबे’ को आजतक याद किया जाता है। 1999 में अक्षय खन्ना और सोनाली बेंद्रे अभिनीत ‘दहक’ भी ऐसी ही कहानी पर बेस्ड थी। उस फिल्म को भी बहुत सराहना मिली थी।
इस हफ्ते रीलीज हुई ‘केदारनाथ’ कुछ ऐसी ही फिल्मों की यादें ताजा कर रही है। केदारनाथ में 2013 में आई त्रासदी को फिल्म के बैकड्राप में रखकर हिंदु-मुस्लिम’ लव एंगल को दिखाया गया है। हालांकि फिल्म केदारनाथ में त्रासदी पर फोकस ज्यादा किया गया है। फिर भी फिल्म की कहानी हिंदु-मुस्लिम लव एंगल पर बढ़ती है। केदारनाथ को उत्तराखंड में इसी कारण से बैन किया गया है। फिल्म को समीक्षकों से मिली-जुली प्रतिक्रियाएं मिल रही हैं। दर्शकों को त्रासदी के फिल्मांकन के अतिरिक्त लव स्टोरी भी पसंद आ रही है। दर्शकों ने अपनी प्रतिक्रिया में फिल्म को सराहा है। रूपहले पर्दे पर पहली बार आई सैफ अली खान और अमृता सिंह की बेटी को भी दर्शकों ने पास कर दिया है। वहीं सुशांत सिंह राजपूत की भी सराहना हो रही है। 35 करोड़ के बजट पर बनी फिल्म ने पहले दिन ही 7.25 करोड़ का व्यापार कर लिया।
कुल मिलाकर 21 वीं सदी में हिंदी फिल्मों में आई हिंदु-मुस्लिम एंगल विशेषकर छोटे शहरों के सामाजिक जीवन में अधिक प्रासंगिक होने की वजह से है दर्शकों को भाती भी है। इसलिए ऐसी लव स्टोरी को आज भी गढ़ा जाता है और आगे भी गढ़ा जायेगा। हालांकि केदारनाथ को हिट का दर्जा मिलने में अभी कुछ दिन बाकी है। देखना होगा दर्शकों की शुरूआती रजामंदी के बाद केदारनाथ आगे पास हो पाती है या नहीं।