पटना : बिहार का महापर्व छठ आज नहाय-खाय से शुरू हो गया। नहाय-खाय के साथ व्रतियों ने नए वस्त्र धारण कर कद्दु, भात का सेवन किया। सोमवार को खरना के दिन से व्रती 36 घंटे का व्रत रखेंगी। 13 नवंबर को संध्या अर्ध्य और 14 नवंबर को सुबह का अर्ध्य किया जायेगा। इस बार कार्तिक मास की षष्ठी 13 नवंबर को दोपहर 01:50 मिनट से 14 नवंबर को 04:21 तक रहेगा। छठ पर्व बिहार के अतिरिक्त उत्तर प्रदेश के कुछ क्षेत्रों में मनाया जाता है। लेकिन बिहार और उत्तर प्रदेश के लोगों का देश के विभिन्न क्षेत्रों में रहने के कारण छठ पर्व वहां भी धूमधाम से मनाया जाता है।
छठ पूजा की महिमा का स्वरूप
छठ पूजा प्रकृति की पूजा है। यह पर्व वर्ष में दो बार चैत्य और कार्तिक मास को मनाया जाता है। कार्तक मास में दिवाली के दो दिनों के बाद नहाय-खाय के साथ छठ पर्व शुरू हो जाता है। कार्तिक पंचमी शुक्ल को खरना के दिन से व्रती 36 घंटे का व्रत रखती हैं। उसके अगले दिन कार्तिक मास की शुक्ल षष्ठी को सूर्यास्त एवं सप्तमी को सूर्योदय के समय सूर्य को अर्ध्य अर्पण किया जाता है। सप्तमी को प्रातः सूर्योदय के साथ अर्ध्य अर्पण कर भगवान सूर्य की विधिवत पूजा की जाती है और प्रसाद वितरण किया जाता है। व्रती इन दोनों दिन मनोकामना पूर्ति की प्रार्थना करती हैं। इस पर्व में मुख्य रूप से संतान प्राप्ति, धन-धान्य की पूर्ति और यश कामना की जाती है।
धूमधाम से मनाया जाता है छठ
छठ चार दिनों की पूजा होती है। इस पर्व में पवित्रता का भरपूर ध्यान रखा जाता है। इसलिए इसे महापर्व कहा जाता है। इस दौरान व्रती अपने परिवार की मंगलकामना के लिए 36 घंटे का व्रत रखती हैं। इन चार दिनों में छठ मां के गीतों को बजाकर उनका स्वागत किया जाता है। अर्ध्य के लिए नदी, तालाब और घर के छत पर घाट बनाए और सजाये जाते हैं। अर्ध्य के दिन व्रती और उनका परिवार बंहगी, दौरा लेकर नदी, तालाब आदि स्थानों पर जाकर सूर्यास्त के समय और अगले दिन सूर्योदय के वक्त सूर्य को जल अर्पित कर मंगलकामना की प्रार्थना करते हैं।