लव सोनिया : 3/5
लव सोनिया ढेरों किरदारों से सजी 2 घंटे 26 मिनट की फिल्म है। हर किरदार का अभिनय दुनिया में एक स्थापित पहचान है। इन्हीं किरदारों को लेकर बनी लव सोनिया, ह्यूमन ट्रैफिकिंग और देह व्यापार जैसी सच्ची घटनाओं से प्रेरित फिल्म है। फिल्म मे अनुपम खेर, मनोज वाजपेयी, राजकुमार राव, आदिल हुसैन, फ्रीदा पिंटो, रिचा चड्डा जैसे मंझे हुए कलाकारों ने काम किया है। वहीं सोनिया का किरदार टीवी एक्ट्रेस मृणाल ठाकुर ने निभाया है, जिनकी यह पहली हिंदी फिल्म है।
फिल्म की कहानी एक मजबूर किसान शिवाजी (आदिल हुसैन) के घर से शुरू होती है। जो बेटे की चाहत रखता है, इसलिए अपनी दोनों बेटियों को वो कोसता रहता है, मगर दोनों बहनों में आपसी प्रेम और समझ बहुत है। एक दिन कर्ज न चुका पाने के कारण शिवाजी अपनी बड़ी बेटी प्रीति (रिया सिसोदिया) को बेच देता है। उसकी छोटी बेटी सोनिया (मृणाल ठाकुर) अपनी बहन की तलाश में घर से निकलती है। उसके इसी सफर में उसकी भेंट कई किरदारों से होती है, और अंत में वो अपनी बहन रिया तक पहुंच जाती है।
फिल्म का निदर्गशन तबरेज नूरानी हैं। उन्होंने एक डाक फिल्म बनाई है। फिल्म में मानव तस्करी के खेल के साथ-साथ देह व्यापार को बखूबी दिखाया गया है। और उन मुद्दों के जरिये समाज की सोच पर प्रहार भी किया गया है। फिल्म के कुछ ऐसे दृश्य हैं जो आपको सोचने पर मजबूर कर देते हैं कि क्या ये इसी भारर या इसी समाज का चेहरा है। वहीं फिल्म मंझे हुए किरदारों के अभिनय के लिए देखने लायक है। दलाल बने मनोज हो या लड़िकयों को देह के धंधे में लाने के लिए ट्रेनिंग देती रिचा चड्डा हो या साहूकार अनुपम खेर या फिर वैश्या का किरदार निभा रही फ्रीदा पींटो हो, सभी ने अपना किरदार अच्छे ढंग से निभाया और लव सोनिया से दर्शकों को जोड़े रखते हैं। वहीं सोनिया बनी मृणाल ठाकुर ने तो अपनी पहली फिल्म में ही अपनी छाप छोड़ी है।
फिल्म कमजोर पक्ष यह है कि ऐसे समाज को फिल्मों में कई बार दिखाया जा चुका है, इसलिए इस मुद्दे को दर्शक पहले पर्दे पर कई बार देख चुके हैं। फिल्म में किरदारों के पीछे निर्देशक नहीं जा पाते या उस पर उनका ध्यान बिल्कुल भी नहीं है या फिर दिखाना ही नहीं चाहते हैं। लड़कियों के देह व्यापार को भी निर्देशक फिल्मों में अब तक प्रयोग हुई ढ़ांचे के आधार पर ही गढ़ते हैं।
मनमर्जियां : 2.5/5
अनुराग कश्यप अपने नए देशी प्रयोगों के लिए महशूर हैं। अनुराग ने इस बार देशी पंजाबी टोन वाली फिल्म ‘मनमर्जियां’ दर्शकों के समाने परोसी है। अनुराग कश्यप की फिल्में डार्क होती हैं, उनकी फिल्म का हीरो, हीरो होकर भी नेगेविटव शेड वाला होता है। इस बार ये काम विक्की कौशल को दिया गया है, विक्की पंजाबी का किरदार निभा रहे हैं, उनकी प्रेमिका का किरदार तापसी पन्नू ने निभाया है और तापसी के पति का किरदार अभिषेक बच्चन ने किया है।
कहानी के अनुसार संधू (विक्की कौशल) और रूमी (तापसी पन्नू) दोनों एक दूसरे को प्यार करते हैं उनका प्यार शारीरिक सम्बन्ध से जब गुजरता है तो रूमी संधू से शादी की डिमांड करती है, पर संधू जो प्यार तो करता है पर शादी की अहमियत नहीं समझता है, वो आनाकानी करने लगता है। इसी बीच रूमी घरवालों की मर्जी से लंदन के एक एनआरआई लड़के रॉबी (अभिषेक बच्चन) से शादी कर लेती है। शादी के बाद पति-पत्नी, प्यार की वही पुरानी कहानी नए क्लेवर में शुरू हो जाती है।
जहां तक बात विक्की कौशल को एक्टिंग की जाए तो वो हर किरदार में जंचते हैं। इस किरदार के साथ उन्होंने नया गेटअप भी डाला है। वो अपने किरदार के साथ न्याय करते हैं। कमोबेश तापसी पन्नम ने भी अपने काम को निभाया है। वहीं अभिषेक बच्चन अभिनय की पारी में धमाकेदार वापसी नही कर पाये हैं, वे जितने सरल असल जिंदगी में दिखते हैं। उतना ही सामान्य और सादगी भरा किरदार फिल्म में भी झलका है।
निर्देशन की बागडोर तो अनुराग के हाथों में है, पर लेखन की जिम्मेदारी उन्होंने नई लेखिका कनिका ढिल्लां को सौंपी है। फिल्म लेखन के स्तर से यदि देखें तो बहुत ही पेंच दिखाई पड़ते हैं। लेखिका नए और पुराने परंपराओं में उलझ कर रह गई है। फिल्म लाउड भी बहुत है, पंजाबी भाषा का ज्यादा इस्तेमाल भी फिल्म पर असर डालता है। 2 घंटे 35 मिनट की यह फिल्म एक समय लंबी और उबाऊ लगने लगती है। इसलिए कुल मिलाकर अनुराग अपनी विधा में नए प्रयोगों से इस बर चूके हैं। परंपराओं, प्यार और नए युवाओं के मनोभावों का विश्लेषण पर्दे पर उभारने में तो वो सफल हैं, पर समाज की संरचना के मूलभूत परिभाषा को बदलने में वो पीछे छूट गए हैं।