बिहार: मुजफ्फरपुर आश्रय घरो में हुए बलात्कार के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को बिहार सरकार और सीबीआई से पटना उच्च न्यायालय के आदेश पर प्रतिक्रिया मांगी, जिसमे मीडिया को इस मामले की रिपोर्ट करने से रोका गया है. पटना उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ दायर याचिका के बाद उच्चतम न्यायालय ने नोटिस जारी किया था, जिसने 30 से ज्यादा लड़कियों के साथ कथित रूप से बलात्कार और यौन शोषण किया गया था, इस मामले की रिपोर्ट करने से मीडिया पर कोर्ट द्वारा प्रतिबंध लगा दिया गया. जस्टिस मदन बी लोकुर और दीपक गुप्ता ने इस मामले पर राज्य सरकार और सीबीआई से जवाब मांगा है. अब 18 सितंबर को इस मामले की अगली सुनवाई होगी.

 

मामले की रिपोर्ट करने से मीडिया को रोकने के पटना उच्च न्यायालय के आदेश को वकील फौजिया शाकिल के माध्यम से पटना स्थित पत्रकार ने चुनौती दी थी. इससे पहले 29 अगस्त को पटना एचसी ने सर्वोच्च न्यायालय को बताया कि वहां एक महिला वकील को लंबित मामले में एक एमीकस के रूप में नियुक्त किया जाना है. यह भी कहा गया था कि नियुक्त महिला उस स्थान पर जायेगी जहां कथित पीड़ितों से मिलेंगी और उन्हें पुनर्वास प्रदान करने के उद्देश्य से साक्षात्कार भी करेंगी. हालांकि, सर्वोच्च न्यायालय ने एमीकस की नियुक्ति पर रोक लगा दी.

टाटा सोशल वेलफेयर विभाग ने टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज (टीआईएसएस), मुंबई द्वारा आयोजित आश्रय घर के सामाजिक लेखा परीक्षा के आधार पर प्राथमिकी दर्ज करने के बाद मामला दर्ज किया. घटना के बाद, जिले में आश्रय घर चलाने वाले गैर सरकारी संगठन को ब्लैकलिस्ट किया गया और वहां रहने वाली लड़कियों को पटना और मधुबनी के अन्य आश्रय घरों में स्थानांतरित कर दिया गया था.