अनुज अवस्थी, बैंगलुरु: कर्नाटक विधानसभा चुनाव की तारीख जैसे-जैसे नजदीक आ रही है, वैसे-वैसे कर्नाटक के सियासी गलियारों में राजनीति का स्तर गिरता जा रहा है। भाजपा से लेकर कांग्रेस एक दूसरे के उपर व्यक्तिगत तौर पर टिपण्णी करते हुए दिखाई दे रहा है। हैरानी की बात ये है कि कोई भी राजनीतिक दल कर्नाटक के विकास की बात नहीं कर रहा है। लेकिन सभी दल अपने आपको जनता का हितैसी बताने से भी नहीं चूक रहे हैं।

वहीं कांग्रेस कर्नाटक में अपना कार्यकल खत्म करने जा रही है लेकिन उसके पास कोई ऐसा ब्योरा नहीं है जिससे वह साबित कर सके कि गतवर्षों में उसने कर्नाटक के विकास के लिए किया क्या है? विकास के मुद्दे को दरकिनार करके जाति, धर्म, समुदाय, और अल्पसंख्यकों के नाम पर धड़ल्ले से रैलियां कर वोट मांगने की कवायत की जा रही है। और तो और कांग्रेस पार्टी ने राज्य में वोटों की नस पकड़ते हुए लिंगायत समुदाय को खास दर्जा देने का लोभ लुभावन प्रस्ताव पेस किया है। इस कवायत से कहीं न कहीं भाजपा बैकफुट पर दिखाई दे रही है।

बहराल, भाजपा और कांग्रेस में जुवानी राजनीति की जा रही है। कोई किसी से 15 मिनट संसद में बोलने की चुनौती दे रहा है तो को बोल रहा है मौका तो दूंगा लेकिन बिना कागजी स्क्रिप्ट के पढ़ना होगा। वाकई जनता को गुमराह करने का नया तरीका इन राजनैतिक दलों ने ढूंढ़ लिया है। देश की और प्रदेश की जनता को समझना होगा कि इस धर्म और जाति वाली घटिया किस्म की राजनीति से किसी का भी भला होने वाला नहीं है फिर वो चाहे किसी भी समुदाय से हो।