अनुज अवस्थी, (भोपाल): किसी ने सही की कहा कि राजनीति असीमित संभावनाओं का खेल है। जी हां ऐसा हम इसलिए कह रहे हैं क्योंकि मध्यप्रदेश में एक बेहद ही सकते में डाल देने वाला राजनीतिक घटना क्रम हुआ है। दरअसल मामला ये है कि कुछ समय पहले मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने नर्मदा नदी के आस पार एक ही दिन में करोड़ो पौधे लगाने का दावा किया था। इसके बाद वहां के कुछ साधू संतो और महंतो ने इससे बड़ा घोटाला करार देकर इसके खिलाफ 1 अप्रल को रथ यात्रा निकालने का ऐलान किया था। रथ यात्रा निकालने वाले संत क्रमश: नर्मदानंदजी, हरिहरानंदजी, कंप्यूटर बाबा, भय्यू महाराज और पंडित योगेन्द्र महंत समेत 5 संत थे।
लेकिन समय ने ऐसी करवट ली कि नर्मदा घोटाला को उजागर करने वालों ने ही अपने सुर बदल लिए हैं और वो अब सरकार के गुण गा रहे हैं। जी हां, मध्यप्रदेश की शिवराज सरकार ने इन पांचो संतो 1 अप्रेल की रथयात्रा से पहले ही 31 मार्च को राज्यमंत्री का दर्जा दे दिया। फिर क्या था सभी संत घोटाले को भुलाकर देश के कल्यांण की बाते करते हुए नजर आ रहे हैं। यहां पर सोचनीय है कि देश के नेता तो नेता देश की संत भी सियासत और सत्ता के सुख भोगने के लिए कुछ भी कर सकते है।
बाबाओं के राज्यमंत्री बनते ही अब शायद ही कभी शिवराज सरकार कोई भी घोटाला करे, वहीं भाजपा के पास भी इसके अलावा कोई विकल्प नहीं थी, दरअसल 2019 की रीजनीति की सुगबुगाहट लगभग सभी राज्यों में सुनाई दे रही है। एमपी की भाजपा सरकार को अपनी शाख बचाने के लिएे ये आलोचनीय कदम उठाना पड़ा। वाकई राजनीति असीमित संभावनाओं का खेल है।