भारतीय लोकतंत्र में कॅालेजियम प्रणाली को इस लिए बहाल किया गया ताकि देश के लोगों का  विश्ववास भारतीय कानून व्यवस्था पर बना रहे। दरअसल काॅलेजियम प्रणाली पांच लोगों का समूह होता है, इन पांच लोगों में भारत के मुख्य न्यायाधीश औऱ सुप्रीम कोर्ट के चार वरिष्ठ जज होते हैं। आपको जानकारी के लिए बता दें कि कॅालेजियम द्वारा जजों की नियुक्ति का प्रावधान भारतीय संविधान में नहीं है।

इन पांच जजों की टीम (कॅालेजियम प्रणाली के सदस्य) अपने हिसाब से जजों की नियुक्ति औऱ तबादले का फैसला करती है। औऱ इन पांच जजों की टीम के निर्णय को सरकार किसी भी कीमत पर मानने से इंकार नहीं कर सकती। इस कॅालेजियम व्यवस्था को भारत में 1993 में लागू किया गया था। तब से लेकर अब तक भारतीय लोकतंत्र में जजों की नियुक्ति कॅालेजियम व्यवस्था के आधार पर नियुक्ति किया जाता है।

कोलेजियम बनाने के पीछे न्यायपालिका की स्वतंत्रता को सुरक्षित रखने की मानसिकता सुप्रीम कोर्ट की रही। इसके लिए सुप्रीम कोर्ट ने जजों की नियुक्ति के लिए संविधान में निहित प्रावधानों को दुबारा तय किया और जजों के द्वारा जजों की नियुक्ति का अधिकार दिया।कोलेजियम किसी व्यक्ति के गुण-कौशल के अपने मूल्यांकन के आधार पर नियुक्ति करता है और सरकार उस नियुक्ति को हरी झंडी दे देती है।